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नेपाल में महंगाई ने मचाया हाहाकार, तेल 800, दाल 700 और नमक 100 नेपाली रुपए किलो पार

संवाद 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-नेपाल शासन की कूटनीति अब देश के आम नागरिकों पर भारी पड़ती नजर आ रही है। बेरोजगारी के साथ नेपाल में महंगाई का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। सब्जी से लेकर आटा, दाल, चावल आदि के रेटों में अचानक महंगाई की आग सी लग गई है। जिसका सबसे बड़ा कारण भारत नेपाल बॉर्डर का बंद होना है।राशन और सब्जियां खरीदना आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। वहीं, लॉकडाउन का फायदा उठाकर कई व्यापारियों ने सामानों की कालाबाजारी भी शुरू कर दी है। इससे जनता की मुसीबत और बढ़ गई है। नेपाल के प्रदेश नंबर सात के दार्चुला और बैतड़ी जिलों को राशन और सब्जियों की सप्लाई झूलाघाट, जौलजीबी, दार्चुला और बलुवाकोट नाकों से होती है। बैतड़ी जिले के जूलाघाट, बाराकोट, धौल्याली, बुढ्ढा, सेरा, नगतड़ी, त्रिपुरा सुंदरी आदि दर्जनों गांवों के लोग रोजमर्रा के सामान की खरीदारी के लिए झूलाघाट आते थे।भारत और नेपाल में रोटी बेटी का संबंध रहा है इसके साथ ही नेपाल का अधिकतर हिस्सा आवश्यक वस्तुओं के लिए भारत पर ही निर्भर रहता है लेकिन अब भारत के साथ नेपाल के रिश्ते तल्खी की भेंट चढ़ चुके है इसकी वजह से साधारण सी बस्तु नेपाल में 100 नेपाली रुपये की मिल रही है जो महज कुछ दिन पहले 16 नेपाली रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा था। खाद्य तेल ( सरसों का तेल) 200 रुपये प्रति किलो की जगह 800 नेपाली रुपये प्रति किलो बमुश्किल मिल रहा है। रिफाइन शुगर ( शक्कर ) 70 नेपाली रुपये की जगह 400 रुपये प्रति किलो बिक रही है। सब्जी में प्रयुक्त होने वाला मसाला जीरा 400 नेपाली रुपये कीमत वाला 2000 नेपाली रुपये प्रति किलो बिक रहा है।काली मिर्च 1600 रुपये प्रति किलो की जगह 3500, हल्दी 250 रुपये की जगह 800 रुपये और खाने में प्रयोग होने वाली तुअर ( अरहर दाल ) 250 की जगह 800 रुपये प्रति किलो बिक रही है।
महंगाई की यह भयानक आग केवल खाने की वस्तुओं में ही नहीं बल्कि भोजन पकाने और उजाला करने के लिए प्रयोग होने वाले केरोसिन ( मिट्टी का तेल ) उछलकर 400 रुपये प्रति लीटर पहुँच चुका है।
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