मिथिला हिन्दी न्यूज :- 8 साल बाद हुई STET 2019 परीक्षा को रद्द करने की घोषणा से अभ्यर्थियों में काफी निराशा है।अभ्यर्थियों का कहना है कि जिन चार केंद्रों पर गरबरी की शिकायत मिली थी उसकी पुनर्परीक्षा ले ली गयी थी।इसके वावजूद जब अभ्यर्थी परिणाम का इंतज़ार कर रहे थे तो उसी दिन 16 मई को बिना किसी ठोस कारण के अचानक परीक्षा कैंसिल कर दी जाती है।इस से लाखों अभ्यर्थी ठगा महसूस कर रहे हैं,शिक्षक बनने का उनका सपना चकनाचूर हो गया है। बीएड स्टूडेंट्स एसोसिएशन के संयोजक सुधीर कुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा का है की इस परीक्षा को रद्द करने में सरकार के मुखिया और बिहार बोर्ड अध्यक्ष की अहम भूमिका है। उन्होंने सरकार और बोर्ड अध्यक्ष को छात्र विरोधी बताया है और परिणाम प्रकाशित न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी। एसटीईटी परीक्षा में धांधली के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले थे, आंसर-की तक जारी किया गया,जहां शिकायत आयी वहाँ पुनर्परीक्षा भी हुई उसका भी आंसर-की तक जारी कर दिया गया। फिर बोर्ड के द्वारा मीडिया में बताया गया कि जल्दी ही रिजल्ट प्रकाशित होगी लेकिन और परिणाम जारी करने के दिन देर रात नोटिफिकेशन जारी करके पूरी परीक्षा रद्द कर दी गयी। सोचने वाली बात हैं कि परीक्षा जनवरी में हुई और रद्द करने की सूचना मई महीने में। इस धोखे की खबर से आहत अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया विभाग को पत्र के माध्यम से आग्रह किया पर कोई सुधार नही होने के बाद अभ्यर्थियों ने न्यायालय की ओर रुख किया। इसके खिलाफ 3 केस हाईकोर्ट में हैं, कोर्ट ने OMR को सुरक्षित रखने को कहा है। अगली सुनवाई भी शीघ्र हो रही है। शिक्षाविद सौरभ भारद्वाज ने बताया कि STET रिजल्ट जारी करने की मांग विगत तीन महीने से STET अभ्यर्थी के अलावा दर्जनों छात्र संघ व राजनीतिक संगठन भी कर रही हैं। अभ्यर्थी भी लगातार विभिन्न सोशल मीडिया पर अपनी बातों को लगातार रख रहें हैं। अभ्यर्थी ने यह आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग व बिहार बोर्ड अपनी तमाम नाकामियों को कोरोना और लॉक डाउन की आड़ में छिपा रही है। राज्य में शैक्षिक बेरोजगारी चरम सीमा पर है और सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ वर्षों से छल करती आ रही है, जिससे कि अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार को शीघ्र इसपर अमल करनी चाहिए,तथा STET परीक्षा के परिणाम को जारी करके शिक्षक नियोजन को चुनावपूर्व पूरा करना सुनिश्चित किया जाय । जिससे कि लाखों बेरोजगार छात्रों को न्याय मिल सके।
ज्ञात हो 8 साल बाद 28 जनवरी को 317 केंद्रों पर STET की परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसमे 2 लाख 45 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया था और 16 मई 2020 को परीक्षा परिणाम आने के दिन इसे अचनाक इसे रद्द कर दिया गया। जिससे लाखों बीएड पास अभ्यर्थियों के सामने निराशा के बादल छाये नजर आने लगे। अभ्यर्थियों में सरकार के फैसले के खिलाफ आक्रोश व्याप्त हैं।
Published by Amit Kumar