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बिहार में डरना क्यों जरूरी है पढें पुरी खबर गुस्सा से आगबबूला होंगे आप

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-कल हमने दरभंगा के जैन कॉलेज के जूलॉजी के एचओडी रहे प्रोफेसर साहब की व्यथा कथा   शेयर की थी.समय पर कोरोना का जांच नहीं हुआ जांच हुआ के समय से रिपोर्ट नहीं आई और वे शुक्रवार को चल बसे इसी बीच खबर आई कि राज्य स्वास्थ्य समिति के वित्तीय सलाहकार भी कोरोना की भेंट चढ़ गए देर रात एक वरिष्ठ पत्रकार के परिजन पटना के अस्पतालों में एडमिट होने के लिए चक्कर काटते रहे पत्रकार साहब की पहुंच काफी ऊपर तक है उन्होंने सभी को फोन लगाया पर कहीं से भी सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला उनके परिजन की स्थिति बेहद नाजुक हो रही थी अंत में एम्स के निदेशक को फोन लगाकर आरजू मिनत की.उन्होंने भी असमर्थता जताई. उसके बाद पटना के निजी नर्सिंग होम का चक्कर शुरू हुआ उनके परिजन को बुखार था इस कारण से पटना के किसी अस्पताल में एडमिट नहीं किया मरीज के परिजन भी भय से आक्रांत थे स्थिति बिगड़ती जा रही थी. सुबह खबर आई कि वे नहीं रहे. एक सप्ताह पहले पटना एम्स के फुटपाथ पर तड़पते गृह विभाग बिहार सरकार के वरीय पदाधिकारी रजक जी की वीडियो पूरे बिहार में देखा उन्हे एडमिट नहीं किया गया उनकी मौत हो गई वह भी इसी व्यवस्था के अंग थे. आज सुबह से एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं मेरी जानने वाली हैं फोन कर रही है कि बिहार सरकार ने पटना में कोरोना जांच के लिए जितने भी सेंटरों की सूची को प्रकाशित की थी उन सभी सेंटरों पर उन्होंने फोन किया पर किसी भी सेंटर के तरफ से कोई सार्थक जवाब नहीं मिला गर्दानीबाग हॉस्पिटल में बताया गया कि जांच बंद कर दिया गया है जिला नियंत्रण कक्ष ने आज बताया कि रविवार है जांच नहीं होगा उन्होंने सब की रिकॉर्डिंग रखी है वह जिन का इलाज कराना चाहती हैं वह लोग अनीसाबाद में एक अपार्टमेंट में कैद है उस अप्पार्टमेंट को सील किया गया है जो बीमार है वह बुजुर्ग हैं उनके साथ एक महिला और दो छोटी बच्चियां है एक बच्ची की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है अस्पतालों के चक्कर काट चुके हैं बारोनेट कहीं भी एडमिट नहीं किया गया हमने अपने अस्तर से पटना के कई अस्पतालों के प्रबंधकों और चिकित्सकों से संपर्क साधा उनका भी अपना पक्ष है वह कह रहे हैं कि जान जोखिम में डालकर कैसे इलाज किया जाए भले वे सामने आकर नहीं बोल रहे पर नाम नहीं छापने के साथ प्रमुख श्याम बोल रहे हैं कि राज्य सरकार की तरफ से उन्हें जरूरी सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई जा रही है जिसमें सबसे ज्यादा जरूरी है इन सभी घटनाओं का जिक्र इसलिए कर रहा हूं कि अगर आपको लगता है कि आप साधन संपन्न हैं बड़े-बड़े लोगों से आपकी जान पहचान है पैसे के बल पर आप अपना इलाज करवा सकते हैं पद पावर पैरवी भी काम आ सकती है तो आप सचेत हो जाइए हालात इस तरह से राजधानी पटना मे बिहार में खराब हुए हैं आपका पद पावर पैसा रखा रह जाएगा तड़प तड़प कर मर जाईएगा. इससे बेहतर है कि आप अपने घरों में सुरक्षित रहिए अगले 15 दिनों के लिए खुद को घर की चारदीवारी में कैद कीजिए. बिहार सरकार लाख दावे कर ले पर पूरी की पूरी व्यवस्था फेल हो गई है इसके लिए हम सिर्फ और सिर्फ सरकार को भी दोषी नहीं ठहरा सकते हैं आपदा है कोरोना हर कोई अक्रांत है ऐसी बात नहीं की व्यवस्था एकाएक लचर है पहले से ही लचर है कोरोना ने उसे पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. व्यवस्था को दुरुस्त करने की जगह बिहार में राजनीति शुरू हो गई है जनता मर रही है नेता बयानबाजी कर रहे हैं लोग वीडियो बनाने में मस्त है जो घरों में है अभी इन हालातों को देखकर डरे हुए हैं पर समस्या का समाधान किसी के पास नहीं। 
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