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स्तनपान से स्वस्थ तथा पोषित शिशु की मुस्कान होगी सुनिश्चित • 1 से 7 अगस्त तक मनेगा विश्व स्तनपान सप्ताह • स्तनपान कक्ष से मिलेगी महिलाओं को सहूलियत • “स्वस्थ पृथ्वी के लिए करें स्तनपान का समर्थन” है इस वर्ष की थीम

      
    
आलोक वर्मा / अनुराधा भारती           
नवादा : स्तनपान नवजातों एवं बच्चों में प्रारंभिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर उन्हें अन्य गंभीर रोगों से सुरक्षित करता है। इसलिए प्रत्येक साल स्तनपान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है।  स्तनपान सप्ताह के दौरान आशा आंगनवाड़ी सेविका एवं एएनएम घर-घर जाकर माताओं को स्तनपान करने के लिए जागरूक करेंगी। साथ ही इसके लाभ के बारे में जानकारी देंगे सामुदायिक कार्यकर्ता धात्री माताओं को भी स्तनपान के लाभ के बारे में बताएंगे। "स्वस्थ पृथ्वी के लिए करें स्तनपान का समर्थन" को इस वर्ष की थीम के रूप में चुना गया है।
सदर अस्पताल एवं प्रथम रेफरल इकाई होगा बोतल दूध मुक्त परिसर : स्तनपान नवजात एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाता है। साथ ही स्तनपान डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बच्चों को सुरक्षित रखने में कारगर साबित होता है। इसको लेकर कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने इस बार के विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान जिला सदर अस्पताल सहित सभी प्रथम रेफरल इकाई को बोतल दूध मुक्त घोषित करने का निर्देश दिया है। मिल्क सब्सटीट्यूट एक्ट 1992 का वर्ष 2003 में संशोधन हुआ। इसके अनुसार किसी भी प्रकार के दूध उत्पाद एवं बोतल दूध के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध लगाया गया ताकि स्तनपान की जगह बोतल दूध के इस्तेमाल में कमी लायी जा सके। 

स्तनपान कक्ष का होगा निर्माण: जिले के प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान कक्ष( ब्रेस्ट्फीडिंग कोर्नर) निर्मित किए जाएंगे। यह स्तनपान कक्ष मुख्यतः ओपीडी में स्थापित किए जाएंगे। यह कक्ष कंगारू मदर केयर वार्ड के अतिरिक्त होगा। इस कार्य के लिए यूनिसेफ़ द्वारा तकनीकी सहयोग भी दिया जाएगा। 

जागरूकता पर होगा बल : स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण एवं सामुदायिक स्तर पर भी प्रयास किए जाएंगे। आशा, एएनएम एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान अधिक से अधिक माताओं को शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारंभ करने एवं छह माह तक केवल स्तनपान कराये जाने के महत्व  में गर्भवती एवं धात्री माताओं को जागरूक करेंगी। आंगनवाड़ी सेविका एवं आशा अगस्त माह में आयोजित होने वाले ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस एवं मदर मीटिंग में सभी दो वर्ष तक के बच्चों की माताओं को आमंत्रित कर उन्हें शिशु एवं छोटे बच्चों के जरूरी स्तनपान एवं अनुपूरक आहार की जरूरत पर जानकारी देंगी।

शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी के लिए आवश्यक है: 
• जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारम्भ किया जाए।
• 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए( ऊपर से पानी भी नहीं)।
• शिशु के 6 माह पूर्ण होने के तुरंत बाद अनुपूरक आहार देना शुरू किया जाए एवं कम से कम शिशु के 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखा जाए।
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