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वृद्धि व सिद्धि योग के युग्म संयोग में जन्माष्टमी आज

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-सर्वार्थ सिद्धि योग वैष्णव की कृष्णाष्टमी कल 
सनातन धर्मावलंबियों व आमजन-गृहस्थों के लिए जन्माष्टमी का पर्व आज भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को सिद्धि योग में मनाया जाएगा I पुराणों, धार्मिक ग्रंथों, मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र के मध्य रात्रि में वृष लग्न में हुआ था I सामान्यतः कृष्ण जन्माष्टमी में रोहिणी नक्षत्र विद्यमान रहता है, लेकिन आज कृष्ण जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र नहीं होगा I आज दोपहर से कल बुधवार के दोपहर तक अष्टमी तिथि रहेगी I श्रीमद्भागवत, श्रीविष्णुपुराण, वायुपुराण, अग्निपुराण, भविष्यपुराण, धर्मसिंधु आदि सभी पौराणिक ग्रंथों एवं शास्त्रों में जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी को ही मनाने का विधान है। पंचांगों के अनुसार अष्टमी तिथि आज की मध्य रात्रि में पूर्णरूप से विद्यमान रहेगा, इसीलिए आम जनमानस व गृहस्थ श्रद्धालु आज ही जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे I अष्टमी तिथि विजया तिथि है, जिसमें योगेश्वर श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ था । वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग के संयुक्त योग में साधु-संत और वैष्ण्व संप्रदाय वाले श्रद्धालु कल कृष्णाष्टमी का त्योहार मनाएंगे I 
श्रीकृष्ण का 5247 वां जन्माष्टमी आज 
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि आज निशा व्यापिनी अष्टमी होने से गृहस्थ लोग आज ही जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे I आज सप्तमी युक्त अष्टमी होने से अति विशिष्ट योग भी बन रहा है। श्रीमद् देवी भागवत महापुराण, भविष्य पुराण व विष्णु पुराण के मुताबिक भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में सप्तमी संयुक्त अष्टमी को ही व्रत करना श्रेष्ठ होता है। भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में बुधवार दिन को अष्टमी तिथि में मध्यरात्रि 12:00 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। आज मध्यरात्रि में कृतिका नक्षत्र, रहेगा और आज भगवान कृष्ण के व्रत-पूजन से श्रदालुओं की पारिवारिक सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। आज भगवान श्रीकृष्ण का 5247 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा I गृहस्थ लोग भगवान के गर्भ में रहने पर जन्माष्टमी मनाते है, वहीं वैष्णव जन्म के बाद कृष्णाष्टमी मनाते है I 
वैवाहिक सुख में होगी वृद्धि  
पंडित झा ने कहा कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सिद्धि योग और मेष लग्न के चंद्रमा की साक्षी में आज जन्माष्टमी का पावन त्योहार मनाया जायेगा I इस दिन श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी दुखों व शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व प्रेम की सद्भावना जागृत होती है । इस दिन श्री कृष्ण प्रसन्न की पूजा, आराधना एवं लीला की गुणगान करने से संतान संबंधित सभी विपदाएं दूर तथा वैवाहिक सुख अपर वृद्धि होती हैं। श्री कृष्ण अपने भक्तों के सभी कष्टों को भी हर लेते हैं।

द्वारिका मंदिर में आज मनेगी जन्माष्टमी 

बोरिंग कैनाल रोड स्थित द्वारिका मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य रुपेश पाठक ने बताया कि आज मध्यरात्रि में सप्तमी व्यापिनी कृष्ण अष्टमी तिथि होने से मंदिर में भी आज ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा I यह मंदिर आम लोगों को समर्पित है, इसीलिए आज मंदिर की सज्जो-सजा, फूलमाला से सजावट, रंग-बिरंगे विद्युत बल्ब से पूरा मंदिर परिसर को सजा कर रात्रि 8 बजे से भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया है, जो मध्यरात्रि 12 बजे तक चलेगा I इस बार कोरोना महामारी के कारण मंदिर परिसर में आम लोगों का प्रवेश वर्जित है I उनके लिए वर्चुयल दर्शन की व्यवस्था की गई है I आज मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का पंचामृत व गंगाजल से अभिषेक करा कर भव्य श्रृंगार किया जाएगा I आज के आयोजन में मंदिर के पुजारीगण तथा समिति के सदस्य ही सम्मिलित होंगे I इस मंदिर में प्रत्येक साल की भांति इस बार की जन्माष्टमी से लेकर भगवान की छठी तक लगातार धार्मिक आयोजन, सतसंग, भजन संध्या का आयोजन किया गया है I श्रद्धालु वर्चुयल विधि से इसका आनंद घर बैठे ले सकेंगे I भगवान की छठी समारोह में भव्य श्रृंगार, छप्पन भोज का आयोजन किया जाएगा I

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त:
गुली काल मुहूर्त: 10:16 बजे से 11:54 बजे तक 
अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11:28 बजे से 12 :20 बजे तक
निशित पूजा मुहूर्त: मध्यरात्रि 12:05 बजे से 12:47 बजे तक 

मनोकामना पूर्ति के लिए ये करें अर्पित :
धन एवं वंश वृद्धि के लिए- पीत पुष्प में इत्र लगाकर अर्पण करें
वैवाहिक तथा न्यायिक कार्य में सफलता के लिए - हल्दी एवं केसर चढ़ाएं
स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से मुक्ति के लिए - गुड़ से निर्मित खीर व हलवा का भोग लगाएं
सौंदर्य तथा निरोग काया की प्राप्ति के लिए - माखन एवं दूध से बनी वस्तु का भोग लगाएं
इसका करे पाठ और जाप 
पाठ- गोपाल सहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम
मंत्र- श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव I
      ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः I
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