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इस बार भी श्री कृष्णजन्माष्टमी को लेकर दो दिन की तैयारी

पंकज झा शास्त्री 

 मिथिला हिन्दी न्यूज :-भाद्रपद मास कृष्नपक्ष अष्टमी को श्री कृष्ण जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कृष्ण के जन्म से जुडा एक चमत्कार यह भी है कि जब कृष्ण जन्म हुआ़ तब नंद गांव में नंद और यशोदा के यहां भी एक कन्या ने जन्म लिया,जिसका नाम योगमाया था।इस कन्या का जन्म भगवान कृष्ण की जगह लेने के लिए हुए था। जिससे कंश भ्रमित हो जाय ।भगवान हरी के आदेश पर कृष्ण को योगमाया के जन्म स्थान पर छोड़ कर योग माया को कड़ागर में लाना था। जिसके बाद कंश द्वारा बध करने के क्रम में योग माया हाथ से उछलकर कंश के मृत्यु की आकाशवाणी की।कृष्नजन्म अष्टमी को योगमाया के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।इस बार कृष्ण जन्मोंत्सव पर नक्षत्र और तिथि एक साथ नहीं मिल रहे है। कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर विद्वानों में एक मत नहीं देखी जा रही है,जिस कारण कुछ लोग 11अगस्त को तो कुछ लोग 12 अगस्त 2020 को जन्माष्टमी मानने की तैयारी में लगे है। हालांकि, 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है। मथुरा और द्वारका में 12 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। 

दरअसल ये मत स्मार्त और वैष्णवों के विभिन्न मत होने के कारण तिथियां अलग-अलग बताई जा रही हैं। भक्त दो प्रकार के होते हैं – स्मार्त और वैष्णव। स्मार्त भक्तों में वह भक्त हैं जो गृहस्थ जीवन में रहते हुए जिस प्रकार अन्य देवी- देवताओं का पूजन, व्रत स्मरण करते हैं। उसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण का भी पूजन करते हैं। जबकि वैष्णवों में वो भक्त आते हैं जिन्होंने अपना जीवन भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया है। वैष्णव श्रीकृष्ण का पूजन भगवद्प्राप्ति के लिए करते हैं।

स्मार्त भक्तों का मानना है कि जिस दिन तिथि है उसी दिन जन्माष्टमी मनानी चाहिए। स्मार्तों के मुताबिक अष्टमी 11 अगस्त को है। जबकि वैष्णव भक्तों का कहना है कि जिस तिथि से सूर्योंदय होता है पूरा दिन वही तिथि होती है। इस अनुसार अष्टमी तिथि में सूर्योदय 12 अगस्त को होगा। मथुरा और द्वारका में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। जबकि उज्जैन, जगन्नाथ पुरी और काशी में 11 अगस्त को उत्सव मनाया जाएगा।
मिथिलांचल क्षेत्र में भी श्री कृष्णजन्म अष्टमी 12 अगस्त 2020,बुधबार को ही मनाई जाएगी।

मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार- 

अष्टमी तिथि प्रारंभ 11/8/2020,मंगलवार को प्रातः 06:22के उपरांत, भरणी नक्षत्र रात्रि 11:28तक, उपरान्त कृतीका नक्षत्र।

12/8/2020,बुधवार,अष्टमी तिथि दिन के08:09बजे तक उपरान्त नवमी तिथि आरंभ,
कृतका नक्षत्र रात्रि 01:39तक,उपरांत रोहिणी नक्षत्र।
 
मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार
कृष्नजन्म अष्टमी ब्रत 12 अगस्त बुधवार को है,पारण 13अगस्त गुरुवार को है।

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पंकज झा शास्त्री
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