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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने किया "कृषि मेघ” सहित तीन सुविधाओं का शुभारंभ डिजीटल इंडिया की कड़ी में अब कृषि में कम्प्युटिंग का युग नई शिक्षा नीति के साथ कदमताल मिलाते हुए कृषि शिक्षा व शोध को बढ़ाएं- तोमर

रामजी कुमार/बादल राज 
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत विकसित "कृषि मेघ" सहित तीन महत्वपूर्ण सुविधाओं का शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इनके माध्यम से, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की, डिजीटल इंडिया संकल्पना की कड़ी में कृषि क्षेत्र में कम्प्युटिंग के युग की शुरूआत हो गई है। कृषि मेघ के अंतर्गत, बरसों के कृषि संबंधी अनुसंधान का डाटा एक ही डिजीटल प्लेटफार्म पर मिल सकेगा, जिसका उपयोग करते हुए तरक्की के नए आयाम हासिल किए जा सकेंगे। श्री तोमर ने कहा कि यह प्लेटफार्म बहुत सुविधाजनक होगा, जिससे देश के लिए योगदान में सहभागिता रहेगी। श्री तोमर ने नई शिक्षा नीति के साथ कदमताल मिलाते हुए कृषि शिक्षा और शोध कार्यों को बढ़ावा दिए जाने की बात भी कही है।
मंगलवार को प्रारंभ की गई सुविधाएं हैं- 1. कृषि मेघ (एनएआरईएस- क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज), 2. उच्च कृषि शैक्षिक संस्थानों की प्रत्यायन प्रणाली पोर्टल, 3. कृषि विश्वविद्यालय छात्र एलुमिनाई नेटवर्क (केवीसी एलूनेट)। श्री तोमर ने कहा कि ये नई सुविधाएं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के इतिहास में बहुत बड़ा कदम है। ये सिर्फ सुविधाएं मात्र नहीं है, बल्कि इससे पारिवारिक भावना को बल मिलेगा, क्योंकि बरसों से जिन भी छात्रों-प्राध्यापकों ने शोध कार्य किए, वे संयुक्त परिवार की तरह एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध रहेंगे। पारिवारिक भावना होने से जिस प्रकार परिवार की उत्तरोतर प्रगति होती है, उसी तरह संस्थान की भी प्रगति होती है। इस दृष्टि से यह कार्य महत्वपूर्ण है। एलुमिनाई नेटवर्क से नए-पुराने स्टूडेंट्स को परस्पर मिलने के साथ ही पुराने-नए तौर-तरीके सीखने-समझने का अवसर भी मिलेगा। वहीं, कृषि शिक्षा संस्थाओं की मान्यता ऑनलाइन हो सकेगी, जिससे पारदर्शिता रहेगी। प्रधानमंत्रीजी का भी जोर पारदर्शिता पर ही है। हैदराबाद में डिजास्टर रिकवरी सेंटर खोलने से काफी सुविधा रहेगी। 
श्री तोमर ने कहा कि नई शिक्षा नीति आने के बाद नए तरीके सोचना और काम करना होगा। शिक्षा रोजगारोन्मुखी हो, गुणवत्ता अच्छी हो। सिर्फ भीड़ न हों बल्कि शिक्षा में उत्कृष्टता आए, इसका लाभ भी कृषि शिक्षा के क्षेत्र में मिलेगा। शिक्षा नीति की बातों को कैसे कृषि विज्ञान के अनुरूप बनाया जाएं, इसकी योजना बनाई जाएं। नई शिक्षा नीति को लेकर आईसीएआर ऑनलाइन सेमिनार करें, ताकि कृषि संस्थानों को लाभ मिल सकें।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र देश का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। कृषि में उत्पादन लागत घटाने, उत्पादकता व जैविक खेती बढ़ाने, मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड देने, किसानों को उचित मूल्य दिलाने के साथ ही किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने प्राथमिकता के साथ अनेक ठोस कदम उठाए हैं। कृषि क्षेत्र के विकास में किसानों का कड़ा परिश्रम है, वहीं कृषि वैज्ञानिक व भारत सरकार पूरी तरह से जुटे हैं। अब कृषि क्षेत्र में गांव-गांव निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है। एक लाख करोड़ रू. का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड लाकर प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए प्रगति के द्वार खोल दिए हैं। 
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री श्री परषोत्तम रूपाला व श्री कैलाश चौधरी,  आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के टास्क टीम लीडर (विश्व बैंक, वाशिंगटन) डॉ. एडवर्ड विलियम बेसनयान, डेयर एवं आईसीएआर के अपर सचिव एवं वित्त सलाहकार श्री बिम्बाधर प्रधान, डेयर के अपर सचिव एवं आईसीएआर के सचिव श्री संजय कुमार सिंह, राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के राष्ट्रीय निदेशक डॉ. आर. सी. अग्रवाल, राष्ट्रीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. तौकीर अहमद, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर व वैज्ञानिकगण, अन्य अधिकारी-कमर्चारी उपस्थित थे।
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