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बिहार में शिक्षक दिवस मात्र एक औपचारिकता :- शिक्षक संघ

बिहार में रस्म अदायगी बन कर रह गया है- शिक्षक दिवस। 

संवाद 
समस्तीपुर। पूसा प्रखंड के शिक्षकों के द्वारा शिक्षक दिवस के दिन अपनी वेदना अपमान दिवस के रूप मे मनाने की घोषणा पूर्व से की गई थी। जिसे पूरा करते हुए प्रखंड के सभी नियोजित शिक्षकों ने विद्यालय पहुंचकर एवं दूरदराज के शिक्षक अपने आवास से अपने परिवार के साथ मुंह पर काली पट्टी लगाकर अपमान दिवस के रूप में शिक्षक दिवस को मनाया। हालांकि भारत के माननीय पूर्व राष्ट्रपति आदरणीय प्रणब मुखर्जी के निधन उपरांत सात दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा हो चुकी है इसके तहत कोई भी राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम मनोरंजन हेतु ना करने की घोषणा शिक्षा विभाग ने पहले ही कर चुकी है। हमारे देश में जो शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है वह भी हमारे देश के एक पूर्व राष्ट्रपति के ही सम्मान में है। 
कभी शिक्षकों का मान-सम्मान समाज में सर्वाधिक था। लेकिन वर्तमान बिहार सरकार ने बिहार के तमाम नियोजित शिक्षकों की प्रतिष्ठा सामान्य सेवा शर्त ना देकर दिनोंदिनघटाने का काम किया है । शिक्षकों के प्रति नीतीश कुमार के असम्मान भावना के कारण आज युवा, शिक्षक से ज्यादा चपरासी बनना श्रेयस्कर समझने लगे हैं। उक्त बातें शिक्षक दिवस को अवमानना दिवस के रूप में मनाते हुए शिक्षकों ने कहा। 
   शिक्षक नेताओं ने कहां की शिक्षकों के दमन की उनकी मानसिकता ने आज शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को गोलबंद होने और दमनकारी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित होने हेतु बाध्य कर दिया है। हर व्यक्ति को उसका सम्मान काफी प्रिय होता है, लेकिन आज शिक्षक अपने मान-सम्मान को भी तिलांजलि देने के लिए बाध्य कर दिए गए हैं,जो शिक्षा व्यवस्था के लिए बहुत हीं दुर्भाग्य की बात है। चायनीज सेवाशर्त और वेतन वृद्धि रूपी ठगी का आरोप लगाते हुए कहां की मुख्यमंत्री अपनी पीठ स्वयं थपथपा रहे हैं। बिहार की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने और शिक्षकों का दमन करने में उनका योगदान शिक्षकों के इतिहास में काले पन्नों में सबसे ऊपर दर्ज रहेगा। शिक्षकों ने अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम गुरुजनों को झुककर प्रणाम करते हुए काली पट्टी बांधकर 04 लाख शिक्षकों को अपमानित करने वाले मुख्यमंत्री जो अपने आप को शिक्षक का बड़ा हितैषी बताते हैं उनका काला चेहरा उजागर करने के अभियान का शुभारंभ कर दिए है। 15 साल से लगातार 04 लाख शिक्षकों को अपमानित करने और सेवाशर्त के नाम पर धोखा देने वाली नीतीश सरकार के खिलाफ आज अपने परिवार के साथ काली पट्टी बांधकर वेदना प्रदर्शित करते हुए हमने अपमान दिवस मनाया है। शिक्षक दिवस पर महज एक दिन का सम्मान करने का दिखावा करने वाली नीतीश सरकार के द्वारा सालों भर शिक्षकों को कई तरह से अपमानित किया जाता हैं। अब असहनीय हो चुके सरकारी अपमान ने, चार लाख शिक्षकों को बिहार की एनडीए सरकार के खिलाफ बिहार विधान सभा चुनाव में मताधिकार का प्रयोग कर सत्ता से उखाड़ फेंकने पर विवश कर दिया है । जिसके कारण सभी शिक्षकों ने शिक्षक दिवस के दिन ही काली पट्टी बांधकर अपमान दिवस मनाते हुए एनडीए को अपना वोट नहीं देने हेतु संकल्प अभियान का शुरुआत किया गया। इस कार्यक्रम में पूसा प्रखंड के शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष अभय कुमार, प्रखंड सचिव रामकिशोर साह, प्रखंड मीडिया प्रभारी नागेंद्र कुमार, संयोजक अमरेश कुमार मिश्रा, जगदीश प्रसाद, कल्पना कुमारी, रंजीत कुमार, अमरेश कुमार, दीपक कुमार राय, स्मिता कुमारी,अमृता प्रीतम, निलेश कुमार,रामविलाश पासवान ,अंकेश कुमार,बिहारी लाल सिंह,कृषणमुरारी शर्मा,सूर्य प्रकाश, रुकमणि रमन कुमार, महेंद्र कुमार, अविनाश प्रसाद सिंह, कांति कुमारी, संगीता कुमारी,अजय शर्मा, अमरेंद्र वर्मा, तिलकेश्वर राय, संजय गुप्ता,सुमन सौरभ ,तनुजा कुमारी, सविता कुमारी सहित सैकरो शिक्षक अपने पूरे परिवार के साथ अपनी वेदना प्रकट किया। उक्त आशय की जानकारी प्रेस को शिक्षक संघ के प्रेस प्रतिनिधि नागेंद्र कुमार प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दिया।
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