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जानें, क्यों ब्रह्म बाबा मंदिर में न पंडा न पुजारी, यहां वृक्ष में बसते हैं भगवान

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- पर्यावरण संरक्षण के नाम पर भारतीय सनातन संस्कृति मे ब्रह्म पूजा का ऐतिहासिक महत्व है।निरोगधाम अलावलपुर तथा ब्रह्म बाबा सेवा एंवशोध संस्थान निरोगधाम अलावलपुर पटना के संस्थापक सह संयोजक संजय कुमार सिंह ने इस संवंध मे बताया कि हिन्दू संस्कृति मे हर जाति के लोग इकट्ठा होकर ब्रह्मदेव की पूजा करते है ।हर गाँव एवं कस्बे मे ब्रह्मस्थान चिन्हित होता है ।ऐसी मान्यता है कि ब्रहस्थान मे वरगद पीपल का पेड़ तथा पेड़ के नीचे मिट्टी के पिंड मे ब्रह्म बाबा का निवास होता है ।ब्रह्म बाबा शोध संस्थान के प्रमुख श्री सिंह ने इस पूजा की धार्मिक तथा वैज्ञानिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पुराने समय मे लोग गाँव के सबसे बड़े पीपल और वरगद के पेड़ की इस रूप मे पूजा करते थे ताकि इस वृक्ष के पत्तों से निकलनेवाली आक्सीजन गैस से आस पास का वातावरण पवित्र रह सके तथा पेड़ के जड़ो मे मिट्टी का पिंडी बनाने का तात्पर्य था कि यह पेड़ भी सुरक्षित रहे ।पूजा की विधि तथा अन्य प्रावधानों से लगता है कि इस वैज्ञानिक आधार को लोग धार्मिक तथ्यों से जोड़कर उसे मजबूती प्रदान करते थे ।श्री सिंह ने ब्रह्म स्थान को पूरे राज्य मे संरक्षित रखने तथा इसमे सरकारी सहायता के मद्देनजर इस शोध संस्थान की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि ऐसे सभी जगहों को सरकारी सुविधा से जोडा जाय।ऐसे जगहों मे सड़क शोलर लाइट चापाकल सामुदायिक भवन स्थल की घेराबंदी जैसी सहायता के लिए वे शिघ्र ही बिहार के मुख्यमंत्री जी से मिलकर सार्थक पहल करने का आग्रह करेगे।
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