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मोरवा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी खादी भंडार का सपना अंतिम सांस ले रहा है

मोरवा/संवाददाता।


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का लघु एवं कुटीर उद्योग धंधे से भारत को खुशहाल बनाने का सपना मोरवा प्रखंड में आज अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है।कभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए प्रखंड के मोरवा उत्तरीय एवं केशो नारायणपुर पंचायत में तत्कालीन विभागीय मंत्री के द्वारा बड़े ही धूमधाम से खादी भंडार की स्थापना एवं उद्घाटन किया गया था। खादी भंडार में एक सौ से अधिक अंबर चरखे लगाए गए थे, जिसके द्वारा रुई से सूत कातकर हजारों परिवारों की आजीविका चला करते थे। मोरवा उत्तरी पंचायत का खादी भंडार आजादी के पन्द्रह वर्षों बाद बंद हो गया। जबकि केसो नारायणपुर पंचायत का खादी भंडार हाल-फिलहाल तक हजारों महिलाओं एवं गरीबों के लिए आजीविका का साधन बना रहा। यहां के सौ से अधिक अंबर चरखे से सूत काटकर सारे परिवार के लिए जहां कपड़े उपलब्ध हो जाते थे, वहीं पटोरी , समस्तीपुर , पटना आज के बाजारों में सूत बेचकर हजारों परिवारों के लिए अच्छी आय का साधन बना हुआ था। जब तक श्याम नंदन शर्मा खादी ग्रामोद्योग बोर्ड संघ के अध्यक्ष पद पर बने हुए रहे तब तक केस नारायणपुर पंचायत का यह खादी भंडार दिन दूनी रात चौगुनी फलता फूलता रहा। संघ अध्यक्ष पद से उनके हटते हैं इस खादी भंडार पर में भी ग्रहण लगना शुरू हो गया। धीरे-धीरे अंबर चरखी खराब होते गए, लेकिन किसी ने भी इसे ठीक कराने की जहमत नहीं उठाई। कभी इस खादी भंडार में एक सौ से अधिक अंबर चरखे सही सलामत थे, जो क्षेत्र के हजारों गरीब महिलाओं के लिए आजीविका का साधन बने हुए थे। लेकिन आज यह स्थिति हो चुकी है कि मात्र एक से दो अंबर चरखे हैं, वह भी खस्ताहाल की स्थिति में। सभी चरखो के खराब हो जाने एवं गरीब महिलाओं का सहारा छिन जाने के कारण अब मात्र इक्का-दुक्का बेसहारा महिलाएं हैं यहां पहुंचकर कभी-कभार खादी भंडार खोल कर खराब चरखी से ही शुद्ध करने का बार-बार प्रयास करने में भी असफल हो जाती है। यदि अति शीघ्र इस खादी भंडार को फिर से दुरुस्त नहीं कराया गया तो राष्ट्रपति राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का संपूर्ण भारत को लघु एवं कुटीर उद्योग से खुशहाल बनाने का सपना पूरी तरह मर जाएगा।
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