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छठ पर्व बीतने के साथ ही संपूर्ण प्रखंड में हर्षोल्लास पूर्वक सामा चकेवा शुरू


कार्तिक पूर्णिमा तक हर रात भाई-बहन के पवित्र प्रेम की अमर लोक कथा खेलेंगी बहने
बहनों ने सामा चकेवा की मूर्ति की खरीदारी !


मोरवा/संवाददाता। 



भाई और बहन के अमर प्रेम की अमर लोक कथा के रूप में संपूर्ण प्रखंड में हर्षोल्लास पूर्वक सामा चकेवा का पर्व शुरू हो गया है। भगवान व्यास द्वारा रचित स्कंद पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के पोता सांब और पोती चकवा दोनों भाई बहनों के अमर प्रेम की लोक कथा को कार्तिक पूर्णिमा तक प्रत्येक रात, बहनें, सामा चकेवा खेलकर एवं गाकर रूपायियित करती रहेंगी। पांच हजार वर्ष से अधिक व्यतीत हो जाने के कारण सांब का नाम सामा के रूप में और चकवा का नाम चकेवा के रूप में पुकार कर संपूर्ण प्रखंड की हजारों बहने लोक पर्व सामा चकेवा खेलती रहती हैं और गाती रहती हैं। कहते हैं भगवान कृष्ण की पोती चकवा को अपने पति से बहुत प्रेम था। मधुर दांपत्य को देखकर चल हट नाम के एक खलनायक ने चुगली करके भगवान कृष्ण से शापित कराते हुए दोनों पति-पत्नी को पक्षी के रूप में परिणत करा दिया। घटना की जानकारी मिलने के बाद भाई शाम बने अपनी बहन चकवा और उसके पति को पुनः मिलाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की कठिन तपस्या की। भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर फिर से दोनों पति-पत्नी को मनुष्य रूप देकर मधुर दांपत्य का वरदान दिया। तथा पति-पत्नी में अलगाव पैदा करने वाले खलनायक चुल्हक को भी मुंह जलाने की सजा दी गई। भाई सांब के कारण बहन और बहनोई को पक्षी का रूप छोड़कर फिर से मनुष्य का रूप धारण कराने एवं मधुर दांपत्य प्राप्त होने की खुशी, और भाई बहन के इस पावन अमर प्रेम की याद में तब से सामा चकेवा पर्व मनाया जा रहा है। जबकि दोनों में अलगाव पैदा करने वाले चूल्हक को सभी बहनें मिलकर प्रत्येक दिन मुंह जला जला कर मारती रहती हैं। वृंदावन में आग लागल केउ नै मिझावे। हम्मर भैया आग के मिझावे। आदि गीत गाकर प्रत्येक रात बहने सामा चकेवा खेलते हुए भाई बहन के मधुर प्रेम याद करते हैं। और परिवार में विवाद उत्पन्न करने वाले खलनायक का मुंह जला कर दुष्ट लोगों को नसीहत देती हैं, ताकि परिवार और समाज में, प्रेम में अलगाव का पैदा करने वाले लोगों को समाज में निश्चित रूप से सजा मिलती है। इस प्रकार भाई बहन के मधुर प्रेम कथा के रूप में सामा चकेवा के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा की रात तक, जट जटिन लोक कथा के गीत से भी संपूर्ण प्रखंड गुंजायमान होता रहेगा।
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