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महान स्वतंत्रता सेनानी व नवाब हाई स्कूल के संस्थापक की पुण्यतिथि मनाई गयी उनके प्रपौत्र पूर्व विधायक ठाकुर रत्नाकार राणा व कुमार पद्माकर ने पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

प्रिंस कुमार 

शिवहर-महान स्वतंत्रता सेनानी शिवहर के प्रसिद्ध नवाब हाई स्कूल के संस्थापक ठाकुर नवाब सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई है। कोरोना काल में सादगी रूप से ठाकुर नवाब सिंह के प्रपौत्र शिवहर के पूर्व विधायक ठाकुर रत्नाकार राणा, कुमार पद्माकर ने सबसे पहले नवाब हाई स्कूल में उनके प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया है।
समाजसेवी सह पूर्व जिला परिषद सदस्य अजब लाल चौधरी, नवाब हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक राजीव नयन सिंह सहित विधायक चेतन आनंद के प्रतिनिधि के रूप में मुरली मनोहर सिंह ,भाजपा नेता विनय कुमार सिंह ने पहुंचकर पुष्प अर्पित किया है तथा उनके जीवनी पर प्रकाश डाला है।
गौरतलब हो कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की दृष्टि में बाबू नवाब सिंह मुजफ्फरपुर जिले के ठाकुर नवाब सिंह एक पुराने विचार की वयोवृद्ध सज्जन थे। आधुनिक रीति से शिक्षित ना होकर भी ठाकुर नवाब सिंह इतने समझदार थे कि सब बातों को समझ लेते थे।
गोरा रंग ,छोटा कद ,भरा पूरा शरीर, शरीर पर धोती और गुजराती जामा ,माथे पर राजस्थानी पगरी और मुख पर सदा प्रसंता के भाव यही था ब्रह्मा स्वरूप उस किसान से लगने वाले आदमी का, जो सचमुच एक तूफान था ।नाम था बाबू नवाब सिंह लोग इन्हें प्यार से गोरा बाबू कह कर पुकारते थे। उनका जन्म 1867 को हुआ था। तथा उनकी मृत्यु 4 दिसंबर 1942 को हुआ था।
बाबू नवाब सिंह सीतामढ़ी में चले राष्ट्रीय आंदोलन के सूत्रधार थे । हुए सन 1921 की जनवरी में असहयोग के सिलसिले में पहली बार गिरफ्तार हुए कुछ दिनों तक हाजत में रखने के उपरांत उन्हें छोड़ दिया गया दूसरी बार अप्रैल 1930 में शिवहर में नमक सत्याग्रह का आयोजन करने के सिलसिले में बाबू जनकधारी प्रसाद ,बाबू राम दयालु सिंह, ठाकुर रामानंदन सिंह के साथ गिरफ्तार हुए थे ।उनको 6 महीने कड़ी कैद की सजा दी गई। वे पहले मुजफ्फरपुर जेल फिर हजारीबाग जेल भेज दिया गया जहां वे राजेंद्र बाबू के सहबंदी हुए थे।
ठाकुर नवाब सिंह बड़े कर्मठ थे। पैतृक संपत्ति तो बहुत कम थी मगर अपने परिश्रम से उन्होंने विशाल संपत्ति का अर्जन किया वे आंदोलन के महाप्रबंधक थे। कांग्रेस की एक-एक कार्यकर्ता और स्वयंसेवक के रहने और खाने का पूरा इंतजाम करते थे। 13 अप्रैल 1930 को शिवहर में जो नमक सत्याग्रह आयोजित किया गया तो गांव गांव में सत्याग्रह का प्रचार करने को लेकर तथा किसानों को स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने को लेकर अलख जगाया था।
अंग्रेजों ने ठाकुर नवाब सिंह के सीतामढ़ी स्थित आवास को फूंक दिया था तथा महुआरिया शिवहर के पुश्तैनी घर तथा शिवहर स्थित उनके पेट्रोल पंप स्थित गोले को जलाकर पूरा नष्ट कर दिया था। तब ठाकुर नवाब सिंह ने भूमिगत हो गए थे।
महान स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर नवाब सिंह को 1942 में तिरहुत के कमिश्नर टेनब्रुक ने बाबू नवाब सिंह के प्रति रोष प्रकट करते हुए बिहार का दूसरा कुंवर घोषित किया था। इससे पहले शिवहर में उन्होंने बच्चों को शिक्षा के लिए राष्ट्रीय स्कूल की स्थापना 1929 में ही कराई थी।
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