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मकर संक्रांति 2021 कब है इस बार, क्या करें इस दिन जानें

पंकज झा शास्त्री
मिथिला हिन्दी न्यूज :-  मकर सक्रांति में सूर्य देव 14 जनवरी को प्रातः 06: 45 बजे आ जाएंगे। 14 जनवरी को ही सक्रांति का पुण्य काल पूरे दिन मनाया जाएगा।वैसे मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार संक्रांति पुण्यकाल दिन के 12:00 के उपरांत होगा। इस महापर्व पर दान करने और भोजन कराने का विशेष महत्व है जिसमे गरीब असहाय को भोजन कराकर उन्हें वस्त्र या अन्य सामग्री दान स्वरूप देना चाहिए गुरुवार को श्रवण नक्षत्र होने से केतु अर्थात् ध्वज योग बनता है। इस योग में सूर्य देव का राशि परिवर्तन शुभ माना गया है किंतु मकर राशि में ही पहले से शनि और बृहस्पति चल रहे हैं। ज्योतिष के जानकार पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि इन तीनों ग्रहों की तिकड़ी इस वर्ष के पूर्वार्ध में राजनीतिक, सामाजिक उथल-पुथल मचा सकती है।
नहीं होंगे मांगलिक कार्य- 🌹
मकर राशि में सूर्य के आने पर सभी शुभ मुहूर्त शादी विवाह गृह प्रवेश आदि आरंभ हो जाते हैं किंतु इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि 17 जनवरी से गुरु अस्त हो जाएंगे। गुरु अस्त में विवाह, घर और गृहस्थी के कार्य करना अशुभ माना गया है, इसलिए इस बार विवाह मुहूर्त मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार जनवरी महीना मे नहीं है।

मकर राशि में 5 ग्रहों का बन रहा योग- 🌹
 इस दिन श्रवण नक्षत्र में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से ध्वज योग बन रहा है। यह खास संयोग कई राशियों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा। मकर संक्रांति के दिन श्रवण नक्षत्र होने से इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति के दिन 5 ग्रहों का शुभ संयोग बनेगा। जिसमें सूर्य, बुध, चंद्रमा और शनि शामिल हैं, जोकि एक शुभ योग का निर्माण करते हैं, इसीलिए इस दिन किया गया दान और स्नान जीवन में बहुत ही पुण्य फल प्रदान करता है और सुख समृद्धि लाता है।

इस दौरान पूर्णिमा अनुसार पौष माह चल रहा है। मकर संक्रांति पौष मास का प्रमुख पर्व है। इस दिन माघ मास का आरंभ होता है। इस वर्ष मकर संक्रांति पर पूजा पाठ स्नान और दान निश्चित रूप से करना चाहिए।

अलग अलग धर्मो की विभिन्न मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति मनाने के कई कारण है. लेकिन मकर संक्रांति मुख्य रूप से सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में जाने के शुभ मौके मनाया जाता हैं.
भारतीय शास्त्रों में कहा गया हैं की जब सूर्य दक्षिणायन में रहता है तब देवताओं की रात्रि होती है अर्थात यह समय नकारात्मकता का प्रतीक होता है और वहीं दूसरी तरफ जब सूर्य उत्तरायण में रहता है तो यह देवताओं का दिन होता है और यह समय को बहुत ही शुभ माना जाता हैं.
दरअसल भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और मकर संक्रांति से पहले सूर्य भारत के हिसाब से दक्षिण गोलार्ध में रहता है और मकर सक्रांति के समय पर वह उत्तरी गोलार्ध में आना शुरू कर देता हैं. जिसका मतलब होता है की भारतीय सभ्यता के अनुसार इस दिन से उत्तरायण का समय शुरू हो जाता है.
यह भी माना जाता हैं की मकर संक्रांति के दिन से सर्दी समाप्त होना शुरू हो जाती हैं और दिन बड़े व रातें छोटी होना शुरू हो जाती हैं. यूँ कहे तो गर्मी की शुरुवात होने लगती है.

 वहीँ वैज्ञानिक दृष्टि से मकर सक्रांति -
मकर सक्रांति के दिन से सर्दियां खत्म होना शुरु कर देती है और भारतीय नदियों में से वाष्पन क्रिया शुरू हो जाती है क्योंकि मकर संक्रांति से सूर्य भारत की तरफ बढ़ना शुरू करता है. वैज्ञानिकों के अनुसार नदियों से निकलने वाली वाष्प कई रोगों को दूर करती है अतः मकर सक्रांति के दिन नदियों में नहाना भारतीय सभ्यता के अनुसार शुभ और वैज्ञानिको के अनुसार शरीर के लिए लाभकारी माना जाता हैं.
वहीँ खान पान की बात करें तब मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिल की मिठाईया खाई जाती हैं जो की वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर के लिए बहुत लाभकारी होती हैं।
नोट - अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय सारणी में कुछ अंतर हो सकता है।

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