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जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर युद्ध स्तर पर घर-घर होगा छिड़काव


-आईआरएस का चक्र 1 मार्च से, कार्यकर्ताओं को मिल रहा प्रशिक्षण

प्रिंस कुमार 

सीतामढ़ी, 23 फरवरी | जिले में एक मार्च से कालाजार नियंत्रण को लेकर प्रस्तावित सिन्थेटिेक पायरेथ्रॉयड छिड़काव को लेकर क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं एवं श्रेष्ठ क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को हुआ। कालाजार उन्मूलन को लेकर आईआरएस (इनडोर रेसीडुअल स्प्रे) के तहत 1 मार्च से छिड़काव किया जाएगा। इसके लिए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रवींद्र कुमार यादव ने बताया कि छिड़काव दल प्रिंटेड पंजी, माइक्रो प्लान और सभी जरूरी सामान के साथ क्षेत्र में कालाजार उन्मूलन अभियान में जुटेगें। जिसका लगातार अनुश्रवण भी किया जाएगा। 

54 छिड़काव दल 16 प्रखंडों के 151 लक्षित ग्राम में चलाएंगे मुहिम :
डॉ यादव ने बताया कि 54 छिड़काव दल 16 प्रखंडों के 151 लक्षित ग्राम में छिडकाव अभियान चलाएगें। जिससे जिले की 974872 की आबादी और 194951 घर लाभांवित होगें। इस चक्र में ' कोरोना काल में दो गज की दूरी और घर में दो गज दवा का छिड़काव कालाजार से बचाव में जरूरी' का भी नारा दिया गया है। एक छिड़काव दल को प्रतिदिन 70-72 घरों में सिंथेटिक पायरेथ्रॉयड दवा का छिड़काव करना है। माइक्रो प्लान में स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि किस दिन किस घर से किस घर तक दवा का छिड़काव करना है। उन्होंने बताया कि कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। दवा का छिड़काव बालू मक्खी को मारने के लिए किया जाता है। छिड़काव सभी घरों (सोने का कमरा, पूजा घर, रसोई आदि ) में, घरों के बरामदा और गौशाला में दीवारों पर जमीन से छह फीट ( दो गज) ऊंचाई तक की जाती है। छिड़काव के बाद 3 महीने तक दीवार की लिपाई पुताई नहीं करवानी चाहिए, क्योंकि इससे दवा का असर समाप्त हो जाता है। कच्चे घरों, अंधेरे व नमी वाले स्थानों पर विशेष तौर पर छिड़काव कराया जाना है।

कालाजार की संभावनाओं को जड से मिटाने पर जोर :
डॉ रवीन्द्र ने बताया कि सीतामढी जिला दो साल पहले ही 2018 में ही कालाजार उन्मूलन के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर चुका है, जबकि वर्ष 2020 तक लक्ष्य को प्राप्त करने की समयसीमा थी। बाढ़ग्रस्त इलाका जैसी चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति के बावजूद समय से पहले लक्ष्य हासिल करने के लिए कई अनूठी पहल कालाजार उन्मूलन में हथियार बने। सामुदायिक सहभागिता, खेल-खेल में स्कूली बच्चों के अंदर व्यवहार परिवर्तन का प्रयास, जागरूकता संदेश और सबसे बड़ी बात लक्ष्य हासिल करने की जीजीविषा ने बड़ी सफलता का मार्ग प्रशस्त किया। डॉ यादव ने बताया कि जिले में कालाजार की संभावनाओं को जड से मिटाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। आईआरएस चक्र के तहत छिड़काव कार्य में जुटे स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर कालाजार से बचने के उपायों की जानकारी देंगे ।वहीं प्रचार वाहन पर बैनर-पोस्टर और जागरूकता संदेश वाले ऑडियो के जरिये भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। 

कोविड प्रोटोकॉल का पालन सबके लिए जरूरी : 
डॉ यादव ने बताया कि कोरोना काल में कदम-कदम पर एहतियात बरतने की जरूरत है। कालाजार उन्मूलन अभियान में जुटे स्वास्थ्य कर्मी मास्क पहनकर और दो गज की दूरी बनाकर काम करेंगे । वे अपने काम के सिलसिले में घर-घर दस्तक देने के दौरान लोगों को भी कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए तीन मूल मंत्र का पालन करने की सलाह देते हैं। मास्क का नियमित उपयोग, नियमित अंतराल पर साबुन से हाथ धोते रहना और दो गज की शारीरिक दूरी का अनुपालन करने के प्रति जागरूक करते हैं। डॉ यादव ने कहा कि किसी भी स्तर पर कोरोना के प्रति लापरवाही काफी भारी पड़ेगी। समुदाय की जागरूकता ही कोरोना को मात दे सकती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव , केयर इंडिया की डीपीओ जूही सिंह, भीबीसीओ प्रिंस कुमार, डॉ शोभना, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक निरंजन कुमार, राजू रमन, केबीसी रुनझुन कुमार, एफएलए रजनीश कुमार सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे।

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