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टीबी मुक्त समाज के लिए प्रबुद्ध वर्ग और चिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण


- शिवहर में 370 टीबी मरीज इलाजरत, 
-एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत जनवरी में 22 हजार लोगों की हुई स्क्रीनिंग 

प्रिंस कुमार 
शिवहर, 24 फरवरी| कोरोना के संक्रमण काल में टीबी मरीजों को सजग और सतर्क रहने की ज्यादा जरूरत है। यह एक संक्रामक बीमारी है। लक्षण मिलने पर इलाज कराना चाहिए। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में समुचित व्यवस्था है। यह बातें जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने कही। उन्होंने कहा कि टीबी रोग को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयारियों में लगा है। जिला क्षय रोग इकाई नए कार्यक्रम शुरू करने के साथ ही पहले से चल रहे कार्यक्रमों में और तेजी ला रही है। पूरे जनवरी सघन टीबी रोगी खोज (एक्टिव केस फाइंडिंग) अभियान चलाया गया। जनवरी में 4500 घरों का सर्वे किया गया। इन घरों के 22 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की गई। जिसमें से 300 लोग टीबी के संभावित मरीज के रूप में चयनित किये गए। 300 लोगों के जांच के बाद 34 में टीबी की पुष्टि हुई। वर्तमान में जिले भर में 370 टीबी के मरीज इलाजरत हैं। वर्ष 2025 तक देश को टीबी रोग मुक्त बनाने के लक्ष्य पर शिवहर जिला की तैयारियों और सुविधाओं पर डॉ जावेद ने विस्तार से चर्चा की। 

जिले में टीबी जांच की क्या है सुविधा?
डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने बताया कि सदर अस्पताल में ट्रू नेट और सीबीनेट मशीन से टीबी रोगियों की पहचान की जाती है। इस मशीन से जांच होने पर टीबी के मरीज की जल्द पहचान हो जाती है। जनवरी में ट्रू नेट से 108 मरीजों की जांच की गई, जिसमें 23 नए रोगी मिले। सभी का उपचार भी शुरू कर दिया गया है। मशीन में सैंपल लगने के बाद दो घंटे में टीबी रोग का पता चल जाता है। इससे क्षय रोगियों का जल्द उपचार शुरू होने में मदद मिल रही है। सबसे खास बात की इस मशीन से जांच के बाद चिह्नित मरीज को कौन सी दवा दी जानी है, इसका भी पता चल जाता है।

कितने प्रकार होते हैं टीबी और क्या है इसके लक्षण?
टीबी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। सामान्य टीबी, एमडीआर और एक्सडीआर। लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना। खांसी के साथ खून का आना। सीने में दर्द और सांस का फूलना। वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना। शाम को बुखार का आना और ठंड लगना। रात में पसीना आना। यह टीबी के प्रमुख लक्षण हैं ।

क्या एक से दूसरे में फैल सकता है टीबी का संक्रमण?
क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। टीबी बैक्टीरिया से होनेवाली बीमारी है, जो हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है। खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है। अगर टीबी मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए और वह खांस नहीं रहा हो तब भी इसके इन्फेक्शन की संभावना बनी रहती है। इसलिए मरीज के परिवार और दूसरे लोग भी दूरी बनाकर रहें। 

 कोरोना काल में क्या सावधानी बरतें? 
कम इम्युनिटी वालों को अधिक संभावना रहती है
अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है, क्योंकि कमजोर इम्युनिटी उनका शरीर संक्रमण का वार नहीं झेल पाता। डायबिटीज के मरीजों, स्टेरॉयड लेने वालों और एचआईवी मरीजों को भी अधिक संभावना । कुल मिला कर उन लोगों को सबसे ज्यादा संभावना होती है जिनकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता ) कम होती है। 60 साल से अधिक और 10 से कम आयु वर्ग के लोगों को संक्रमण की अधिक संभावना रहती है। कोरोना महामारी के दौर में वैसे तो सभी को सतर्कता बरतनी है, लेकिन टीबी के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। खासकर उन मरीजों को जो पहले से ही फेफड़े की समस्या से जूझ रहे हैं। 

प्राइवेट अस्पताल में इलाजरत मरीजों को सरकारी लाभ मिल सकता है? 
टीबी के मरीजों का इलाज भले ही प्राइवेट में चलता रहे, लेकिन दवा सरकारी अस्पताल की और वो भी मुफ्त दी जाती है। दरअसल, प्राइवेट अस्पताल मरीजों को भर्ती करते हैं और इसकी सूचना जिला क्षय नियंत्रण केंद्र को देते हैं। सूचना देने के लिए अस्पताल वालों को भी 500 रुपये मिलते हैं। 

शिवहर को टीबी मुक्त बनाने के लिए क्या जरूरी है?
 डॉ. जावेद ने बताया कि शिवहर जिला को टीबी से पूर्णत: मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत-संकल्पित है। इसमें समाज के सभी जागरूक प्रबुद्ध वर्ग, सभी अस्पताल एवं चिकित्सकों एवं निजी अस्पतालों की भूमिका निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि टीबी रोग पाए जाने पर रोगियों को मुफ्त दवाएं देने के साथ ही प्रतिमाह पांच सौ रुपये पोषण राशि देने का भी प्रावधान है। जांच में रोग पाए जाने पर चिकित्सकों के परामर्श के मुताबिक पूरे कोर्स की दवा खाएं। अपील किया कि शिवहर जिला को टीबी रोगमुक्त बनाने में सामूहिक सहयोग करें।

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