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दवाओं का नियमित सेवन कर फिरदौस ने खुद को टीबी मुक्त कर लिया


- स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैंपियन से सम्मानित किया


प्रिंस कुमार 
  टीबी   से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सामुदायिक भागीदारी से ही 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार होगा। इसमें हर व्यक्ति को सहयोगी बनना होगा। कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं टीबी चैंपियन फिरदौस मंसूरी। कभी ये खुद टीबी से ग्रसित और निराश थे, लेकिन नियमित दवाओं का सेवन कर खुद को टीबी मुक्त कर लिया। वे चाहते हैं कि टीबी की गिरफ्त में आए दूसरे लोग भी इससे निजात पाएं। जिले के अम्बा गांव निवासी फिरदौस को दो साल पहले लगातार खांसी आने लगी। उन्हें एमडीआर टीबी थी। फिर सदर अस्पताल जाकर नियमित रूप से सरकारी दवाएं लेने लगे। 28 महीने बाद जांच में उन्हें टीबी मुक्त घोषित कर दिया गया। उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैंपियन के नाम से सम्मानित किया है। 

खत्म करना होगा मन का डर
जिला के पिपराही की रहने वाली मीणा देवी को भी लगातार खांसी आने, सीने में दर्द की शिकायत थी। इसके बाद अस्पताल जांच के बाद उनमें टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद वह सरकारी दवा लेने लगी। वहां मुफ्त दवाएं मिलीं। कुछ महीने बाद ही वह इसे मात देकर ठीक हो गईं। खुद का उदाहरण देते हुए दूसरों को समझाती हैं कि दवा नहीं छोड़ना है। कहती हैं कि टीबी ग्रसित मरीज के परिवारजनों को समझाना पड़ता है। क्योंकि ज्यादातर परिवार के ही लोग मरीज का साथ नहीं देते हैं। डर की वजह से उसे अलग कर देते हैं।

लक्षण वाले व्यक्ति रोग को छिपाएं नहीं

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने अपील की कि यदि टीम के लोग किसी के घर पहुंचे तो टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति अपने रोग को छिपाएं नहीं, बल्कि लक्षणों के बारे में खुलकर बताएं। टीबी रोग की पुष्टि होने पर उनका समुचित इलाज होगा। उन्होंने कहा कि टीबी हारेगा देश जीतेगा थीम पर चल रहे अभियान के दौरान टीम के लोग जन सामान्य को टीबी से बचाव के लिए जागरूक कर रहे हैं और मरीजों की खोज कर रहे। 

शिवहर को टीबी मुक्त बनाने में सामूहिक सहयोग करें
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने बताया कि शिवहर जिला को टीबी से पूर्णत: मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत-संकल्पित है। इसमें समाज के सभी जागरूक प्रबुद्ध वर्ग, सभी अस्पताल एवं चिकित्सकों एवं निजी अस्पतालों की भूमिका निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि टीबी रोग पाए जाने पर रोगियों को मुफ्त दवाएं देने के साथ ही प्रतिमाह पांच सौ रुपये पोषण राशि देने का भी प्रावधान है। वहीं सावधान किया कि चिकित्सकों के परामर्श के मुताबिक पूरे कोर्स की दवा खाएं। बीच में त्रुटि होने पर रोग का समुचित इलाज नहीं हो सकेगा। अपील किया कि शिवहर जिला को टीबी रोगमुक्त बनाने में सामूहिक सहयोग करें।
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