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कब है नरक चतुर्दशी, जानिए इस दिन ये उपाय करने पर समाप्त होता है अकाल मृत्‍यु का भय

पंकज झा शास्त्री 

माना जाता है कि सनातन धर्म में मृत्यु के बाद कर्मानुसार स्वर्ग और नरक में जाने का विधान है। स्वर्ग में जहां सर्वसुख मिलता है वहीं नरक में कठोर कष्ट, यातना और दुख भोगना पड़ता है। ऐसे में भला कौन है जो नरक जाना चाहेगा। यदि आप अपने पाप कर्मो के बुरे प्रभाव से बचना चाहते हैं और मृत्यु के बाद स्वर्ग जाने की आशा करते है तो इसके लिए स्वर्णिम अवसर है। 10 फरवरी 2021,बुधवार को नरक निवारण चतुर्दशी है और इस दिन विधिविधान से शिवपूजन कर आप नरक से मुक्ति पाने की संभावना बढ़ जाती है
माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों के अनुसान इसी दिन हिमालयराज की पुत्री पार्वती का विवाह भगवान शिव के साथ तय हुआ था। इस तिथि से ठीक एक माह बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ। वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवपूजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है पर माघ और फाल्गुन मास की चतुर्दशी शिव को सबसे अधिक प्रिय होने से इन दोनों तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष माना जाता है। माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में जानी जाती है। इस तिथि पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें बिल्वपत्र के साथ बेर का फल भी अर्पित करें। यदि व्रत रखें तो बेर का फल खाकर व्रत खोलें। जरूरतमंदों को दान दें। अभी तक किए गए पापों का प्रायश्चित करें, मन-वचन-कर्म से किसी को कष्ट न पहुंचाने का संकल्प लें। ऐसे में आपके पाप कर्म का प्रभाव कम होगा, पुण्य बढ़ेगा तो नरक जाने की बजाए स्वर्ग में ही स्थान सुरक्षित हो सकेगा। वैसे सनातन धर्म अनुसार प्रत्येक,व्रत,पर्व त्योहारों को देखा जाय तो तो निश्चित रूप से धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण होता है जिसका लाभ पाना संभव है। मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार
चतुर्दशी तिथि आरंभ मंगलवार रात्रि 01 बजकर 30 मिनट के उपरांत और त्रयोदशी तिथि समापन बुधवार को रात्रि 12:30 तक। वैसे अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय सारणी में अंतर हो सकता है। आप सभी का कल्याण हो 


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