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टीबी को हराने के लिए समेकित प्रयास की जरूरत: डॉ राकेश चंद्र सहाय वर्मा

- टीबी पर जागरूकता के लिए चलाया गया हस्ताक्षर अभियान 
- मरीजों की नियमित दवा और क्लीनिकल फॉलोअप पर दिया जाएगा जोर

प्रिंस कुमार 
सीतामढ़ी,13 मार्च ।

जिला स्वास्थ्य समिति और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) की तरफ से शनिवार को डीएचएस के सभागार में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका विधिवत उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ राकेश चंद्र सहाय वर्मा ने किया। मौके पर डॉ वर्मा ने कहा कि टीबी एक ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। यह किसी को भी हो सकता है। शुरुआत में इसके लक्षण भी सामान्य से ही दिखते हैं पर दो हफ्ते ही खांसी या बुखार हो तो तुरंत ही टीबी की जांच कराएं। भारत सरकार ने इसके उन्मूलन के लिए 2025 का वर्ष निर्धारित किया है। जिसके लिए ग्रास रूट पर कार्य करने की आवश्यकता है। वहीं लोगों को भी समेकित रूप से इसके जागरूकता हेतु प्रयास करना होगा। मौके पर केयर डीटीएल मानस कुमार ने कहा कि केयर की तरफ से हर प्रखंड पर समुदाय स्तर तक सहायता मिलेगी और ज्यादा से ज्यादा रोगियों की खोज और उपचार हमारा संपूर्ण लक्ष्य होगा। जिससे टीबी पर विजय पाई जा सके। 

नियमित रूप से लें दवा
सिविल सर्जन डॉ वर्मा ने कहा कि टीबी पूर्ण रूप से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते वह नियमित रुप से दवा का सेवन करे। टीबी के रोगियों को नि:शुल्क दवा का वितरण सरकारी अस्पतालों के द्वारा किया जाता है। 

पावर प्वाइंट से समझायी वर्तमान स्थिति
मीडिया कार्यशाला सह प्रचार -प्रसार व जनजागरुकता के लिए आयोजित कार्यक्रम में जिला संचारी पदाधिकारी डॉ मनोज कुमार ने कहा कि वैश्विक तौर पर 2030 और भारत में 2025 को टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें टीबी के निर्धारित मरीजों की संख्या को 80 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है, जो प्रति लाख 44 है। वहीं टीबी के मृत्युदर अभी प्रति लाख 44 है जिसे घटाकर प्रतिलाख 3 पर लाना है। वहीं वैसे परिवार जो अपनी कुल आय का 20 प्रतिशत से ज्यादा बीमारी पर खर्च करते हैं उसमें भी कमी करना है। 
25 प्रतिशत आबादी में टीबी की बैक्टीरिया 
डॉ मनोज ने कहा कि देश में 25 प्रतिशत आबादी में टीबी की बैक्टीरिया हैं। पूरे विश्व में लगभग एक करोड़ लोग प्रतिवर्ष टीबी से ग्रसित हो रहे हैं। वहीं इसकी संख्या भारत में करीब 27 लाख है। इसके अलावा 2.4 लाख लोग ऐसे हैं मिसींग है। इनमें टीबी के लक्षण होते हुए भी पकड़ में नहीं आ रहे हैं। हमें अभियान के रूप में इन्हीं लोगों को खोजना है। आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि 80 प्रतिशत टीबी के मरीज संक्रमण फैलाने वाले होते हैं। 72 प्रतिशत टीबी के मरीज दवाओ से ठीक हो जाते हैं।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दिए निर्देश 
जिला संचारी पदाधिकारी डॉ मनोज ने सभी चिकित्सा पदाधिकारियो से 24 मार्च तक होने वाले कार्यक्रमों के नियमित संचालन के साथ नए रोगियो की खोज तथा उनके तुरंत उपचार पर जोर दिया। रोगी का ट्रीटमेंट कार्ड बनया जाय। सबसे महत्वपूर्ण है कि रोगियों को नियमित दवा और क्लीनिकल ट्रीटमेंट किया जाए। जिसमें उनके स्वास्थ्य की पूरी जानकारी होनी चाहिए। एचआईवी, यूएसडीटी तथा ब्लड शुगर की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में भेजने के लिए प्रोत्साहित करें। विश्व यक्ष्मा दिवस तक के कार्यक्रमों में एएनएम का उन्मुखीकरण, स्वास्थ्य उपकेंद्र की बैठक, सेंटर स्तर पर जागरूकता, जन जागरूकता रैली, वाद-संवाद कार्यक्रम होना सुनिश्चित हुआ है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ राकेश चंद्र सहाय वर्मा, सीडीओ डॉ मनोज कुमार, केयर डीटीएल मानस कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ नरेंद्र कुंवर, डीपीएम आशित रंजन रंजन कुमार सहित सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, केयर बीएम सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।
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