अपराध के खबरें

बदलते मौसम में छोटे बच्चों की सेहत का रखें विशेष ध्यान

प्रिंस कुमार 

मोतिहारी, 3 मार्च | मौसम में बदलाव शुरू हो चुका है। दिन में गर्मी ज्यादा लग रही है तो रात में ठंड । इस मौसम में छोटे बच्चों की सेहत के प्रति अधिक सर्तक रहने की जरूरत है। सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर सिंह ने बताया कि सर्द-गर्म के इस मौसम का कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों पर विपरीत असर दिखाई देता है। जिससे बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार, दस्त, डायरिया, उल्टी जैसे रोगों से संक्रमित हो सकते हैं। बच्चों को इन सभी परेशानी से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। बच्चों को संतुलित भोजन देना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। माँ के दूध से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युन सिस्टम) मजबूत होती है। 

अप्रैल से जुलाई तक मस्तिष्क ज्वर की रहती है संभावना -
डॉ अखिलेश्वर सिंह ने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक जिले में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना भी बनी रहती है। जिसमें बच्चों को बहुत ही तेज बुखार होता है। इसमें बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है। मुंह से भी झाग आता है। बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बच्चों की समस्या को पहचान नहीं पाते, जिसके कारण इसके इलाज में ही काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि इससे बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है। गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ताकि लोग चमकी बुखार मस्तिष्क ज्वर को सही समय पर जान सकें के और समय पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकें ।

अस्पतालों को आवश्यक उपकरण खरीद का निर्देश

सिविल सर्जन ने कहा कि जिले में चमकी बुखार वाले प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों को सभी आवश्यक उपकरणों को अविलंब खरीद का निर्देश दिया जा चुका है। किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो तो सीधे सदर अस्पताल में आकर संबंधित चिकित्सक से चिकित्सा कराएं। सरकारी अस्पताल में हर प्रकार की इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हैं । यहां बेहतर साधन द्वारा चिकित्सा की जा रही है। किसी प्रकार की असुविधा होने पर अधिकारियों से संपर्क करें। जिले में बच्चों के इलाज में किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति होने पर सरकार द्वारा एंबुलेंस की सुविधाएं उपलब्ध हैं । अगर एंबुलेंस में कोई देरी भी होती है तो माता पिता प्राइवेट भाड़ा कर गाड़ी लेकर जिला अस्पताल आ सकते हैं। उनके आने जाने का सारा किराया सरकारी स्तर पर मुफ्त दिया जाएगा। 

बदलते मौसम का बुजुर्गों पर असर
सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि इस मौसम में रक्तचाप को नियंत्रित रखना चाहिए। रक्तचाप बढ़ने से ह्रदयाघात व स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। बीपी, शुगर व दिल के रोग वाले बुजुर्गों को खुद रक्तचाप को नियंत्रित रखने की हरसंभव कोशिश रखनी चाहिए। इसके लिए नियमित दवाओं को खाते रहें। बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बदलते मौसम का सीधा असर पड़ता है। इसलिए उन्हें खानपान का भी ध्यान रखना है। मसाले की जगह हल्का व पौष्टिक आहार लें। सदर अस्पताल के डॉ नागमणी सिंह ने बताया कि इस मौसम में बहुत अधिक तेल मसाले खाने की जगह हल्का व पौष्टिक खाना लेना चाहिए। हरी सब्जी, दाल व रोटी का अधिक इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आहार में विटामिन सी वाले फल, अखरोट, तुलसी और हल्दी दूध भी शामिल करें। 

साथ में निम्न बातों का पालन आवश्यक है
- एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
- सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
- अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
- आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
- छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।
Tags

إرسال تعليق

0 تعليقات
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live