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आपातकाल में महाशिवरात्रि कैसे मनाएं ?

श्री. चेतन राजहंस

     ‘संपूर्ण देश में महाशिवरात्रि बडे उत्‍साह से मनाई जाती है । फाल्‍गुन कृष्‍ण पक्ष चतुर्दशी को शिवजी का व्रत महाशिवरात्रि करते हैं । (इस वर्ष ११ मार्च २०२१ को महाशिवरात्रि है ।) उपवास, पूजा और जागरण महाशिवरात्रि व्रत के ३ अंग हैं । ‘फाल्‍गुन कृष्‍ण पक्ष त्रयोदशी को एक समय उपवास करें । चतुर्दशी को सवेरे महाशिवरात्रि व्रत का संकल्‍प करें । सायंकाल नदी अथवा तालाब के किनारे जाकर शास्‍त्रोक्‍त स्नान करें । भस्‍म और रुद्राक्ष धारण करें । प्रदोषकाल पर शिवजी के देवालय में जाकर शिवजी का ध्‍यान करें । तत्‍पश्‍चात षोडशोपचार पूजन करें । भवभवानीप्रित्‍यर्थ तर्पण करें । शिवजी को एक सौ आठ कमल अथवा बिल्‍वपत्र नाममंत्र सहित चढाएं । तत्‍पश्‍चात पुष्‍पांजली अर्पण कर अर्घ्‍य दें । पूजासमर्पण, स्‍तोत्रपाठ और मूलमंत्र का जप होने के उपरांत शिवजी के मस्‍तक पर चढाया हुआ एक फूल उठाकर स्‍वयं के मस्‍तक पर रखें और क्षमायाचना करें’, ऐसा महाशिवरात्रि का व्रत है ।

इस वर्ष कोरोना की पृष्‍ठभूमि पर कुछ स्‍थानों पर यह व्रत सदैव की भांति करने में मर्यादाएं हो सकती हैं । ऐेसे समय क्‍या करें ? महाशिवरात्रि को शिवतत्त्व का लाभ प्राप्‍त करने के लिए क्‍या कृत्‍य करें ? इससे संबंधित कुछ उपयुक्‍त सूत्र और दृष्‍टिकोण यहां दे रहे हैं ।
(टिप्‍पणी : ये सूत्र जिस स्‍थान पर महाशिवरात्रि का व्रत सदैव की भांति करने हेतु प्रतिबंध अथवा मर्यादाएं हैं, ऐसों के लिए हैं । जिस स्‍थान पर प्रशासन के सर्व नियमों का पालन कर सदैव की भांति व्रत और देवदर्शन करना संभव है, उस स्‍थान पर स्‍थायी प्रथा के अनुसार करें ।)

१. शिवपूजा के लिए विकल्‍प

 अ. कोरोना की पृष्‍ठभूमि पर लागू किए गए प्रतिबंधो के कारण जिनके लिए महाशिवरात्रि पर शिवमंदिर में जाना संभव नहीं है, वे अपने घर के शिवलिंग की पूजा करें ।

आ. यदि शिवलिंग उपलब्‍ध न हो, तो शिवजी के चित्र की पूजा करें ।

इ. शिवजी का चित्र भी उपलब्‍ध न हो, तो पीढे पर शिवलिंग अथवा शिवजी का चित्र बनाकर उसकी पूजा करें ।

ई. इनमें से कुछ भी संभव न हो, तो शिवजी का ‘ॐ नमः शिवाय ।’ यह नाममंत्र लिखकर उसकी भी पूजा कर सकते हैं ।’
सावन के सोमवार को उपवास कर शिवजी की विधिवत पूजा करने के इच्‍छुक लोगों के लिए भी ये सूत्र लागू हैं ।

उ. मानसपूजा : ‘स्‍थूल से सूक्ष्म श्रेष्‍ठ’, यह अध्‍यात्‍म का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है । जिस प्रकार साधारण बम की अपेक्षा अणुबम अथवा उससे भी अधिक परमाणुबम शक्‍तिशाली होता है, उसी प्रकार स्‍थूल की अपेक्षा सूक्ष्म में अधिक सामर्थ्‍य होता है । इस तत्त्व के अनुसार प्रत्‍यक्ष शिवपूजा करना संभव न हो, तो मानसपूजा भी कर सकते हैं । 

२. ‘ॐ नम: शिवाय ।’ का नामजप अधिकाधिक करें !

     कलियुग में नामस्‍मरण साधना बताई गई है । महाशिवरात्रि को शिवजी का तत्त्व १ सहस्र गुना अधिक कार्यरत होता है, उसका आध्‍यात्‍मिक स्‍तर पर लाभ उठाने के लिए ‘ॐ नम: शिवाय ।’ यह नामजप अधिकाधिक करें । इस समय भाव रखें कि शिवजी को साष्‍टांग नमस्‍कार कर रहे हैं ।

३. शिवतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोली बनाएं !

     शिवतत्त्व ग्रहण होने के लिए उस दिन द्वार पर शिवतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोली बनाएं । सनातन के साधकों ने सनातन संस्‍था के संस्‍थापक परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी मार्गदर्शन में साधना और शोध कर यह खोजा है कि, किस प्रकार की रंगोली से शिवतत्त्व अधिकाधिक आकर्षित किया जा सकता है ।
शिवजी की उपासना के संदर्भ में ‘शिवजी से संबंधित अध्‍यात्‍मशास्‍त्रीय विवेचन’ और ‘शिवजी की उपासना का शास्‍त्र’ नामक ग्रंथ तथा ‘शिव’ यह लघुग्रंथ प्रकाशित किया गया है । ये ग्रंथ www.sanatanshop.com इस जालस्‍थल पर उपलब्‍ध हैं ।

४. दृष्‍टिकोण

      वर्तमान में सर्वत्र कोरोना की दूसरी लहर का भय है । संसार में अनेक स्‍थानों पर प्राकृतिक प्रकोप की घटनाएं घट रही हैं । भारत और चीन के संबंध तनावपूर्ण हैं । ये घटनाएं आपातकाल के चिन्‍ह हैं । अनेक संत और भविष्‍यवक्‍ताआें द्वारा बताए अनुसार आपातकाल प्रारंभ हो गया है । आपातकाल से पार पाना हो, तो साधना का बल आवश्‍यक है । इसलिए सदैव की भांति व्रत करने में मर्यादाएं होते हुए भी निराश न होते हुए अधिकाधिक साधना करने की ओर ध्‍यान दें । महाशिवरात्रि के निमित्त हम भगवान शिवजी को शरण जाकर प्रार्थना करेंगे, ‘हे महादेव, साधना करने के लिए हमें शक्‍ति, बुद्धि और प्रेरणा दीजिए । हमारी साधना में आनेवाली बाधाआें का लय होने दीजिए, ऐसी हम शरणागतभाव से प्रार्थना करते हैं ।’
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