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मधुबनी जिले के डीसीएचसी में स्थापित किए गए 4 वेंटिलेटर


•2 दिन में चालू हो जाएगा डीसीएचसी में वेंटिलेटर
•चिह्नित माइक्रो कंटेंटमेंट जोन में उड़नदस्ता टीम रखेगी नजर
•जिले में अब सभी दिन होगा टीकाकरण।

पप्पू कुमार पूर्वे 

कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच राज्य सरकार लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी कर रही है। इसी क्रम में कोविड 19 के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए रामपट्टी के डीसीएचसी (डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर) में 2 दिनों में वेंटिलेटर की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। यह जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया 90 से 94% तक ऑक्सीजन रहने पर मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं होती है। 90 फीसदी से कम रहने पर मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। 
सिविल सर्जन ने बताया जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कोविड केयर सेंटर में किया जाता है तथा मरीज के गंभीर होने की स्थिति में जिले में स्थापित डीसीएचसी में रेफर कर दिया जाता है।, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा उनका इलाज किया जाता है। परंतु वेंटिलेटर की सुविधा डीसीएससी में नहीं रहने के कारण वेंटिलेटर के अभाव में अन्य जिले के मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता है। परंतु अब वेंटिलेटर लग जाने से ऐसे मरीजों का बेहतर प्रबंधन जिले में ही किया जा सकेगा।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की गई है प्रतिनियुक्ति:
सिविल सर्जन ने बताया हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अति गंभीर मरीज को चिकित्सा व्यवस्था के लिए उच्च चिकित्सा संस्थान में भेजने का सरकार का निर्देश है। इसके बावजूद वेंटिलेटर चालू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए 3 डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति की गई है जिसमें डॉ. पंकज, डॉ. संतोष कुमार तथा डॉ. राजीव कुमार की प्रतिनियुक्ति की गई है। 

कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए रामबाण :
सर्जन ने बताया वेंटिलेटर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रामबाण की तरह है। वेंटिलेटर मशीनों के शुरू हो जाने से कोरोना संक्रमितों के लिए यह काफी उपयोगी सिद्ध होगा। डॉ. झा ने बताया कोरोना संक्रमण से प्रभावित व्यक्तियों के रक्त में ऑक्सीजन की एक नियत मात्रा कायम रखा जाना मरीजों के जीवन के लिए अति आवश्यक होता है। गंभीर मरीजों में स्वयं बाहरी माध्यम से ऑक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता नहीं रह जाती है, जिसमें एकमात्र सहारा वेंटिलेटर रह जाता है। जो ऐसे मरीजों को कृत्रिम श्वास प्रदान करता है तथा मरीज लाइफ सपोर्ट सिस्टम के माध्यम से आवश्यक ऑक्सीजन प्राप्त कर जिंदगी जीने की जंग को जीतने की दिशा में अग्रसर होता है।

कितने तरह के होते हैं वेंटिलेटर:
वेंटिलेटर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं। पहला मेकेनिकल वेंटिलेशन और दूसरा नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन। मेकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज के सांस नली से जोड़ दिया जाता है। जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले जाता है। वेंटिलेटर मरीज के शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर खींचता है और ऑक्सीजन को अंदर भेजता है। दूसरे प्रकार के वेंटिलेटर को सांस नली से नहीं जोड़ा जाता है, बल्कि मुंह और नाक को कवर करते हुए एक मास्क लागाया जाता है जिसके जरिए इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। 

कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर:
सिविल सर्जन ने बताया कोविड-19 से संक्रमित 80% मरीज अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं। लेकिन छह में से एक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है। जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है।

चिह्नित माइक्रो कंटेनमेंट जोन में उड़नदस्ता टीम रखेगी निगरानी

जिलाधिकारी अमित कुमार ने जिले के वरीय पदाधिकारी तथा प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के साथ एक उड़नदस्ता टीम का गठन किया है जो माइक्रो कंटेंटमेंट जोन में ट्रेसिंग एवं टेस्टिंग हो रहा है या नहीं इसकी जांच करेगी।

अब जिले में सभी दिन होगा टीकाकरण:

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एसके विश्वकर्मा ने बताया जिले में 94 सत्र स्थल पर टीकाकरण किया जा रहा है। जहां प्रतिदिन टीकाकरण किया जाएगा। लेकिन बुधवार एवं शुक्रवार को नियमित टीकाकरण होने के कारण सभी 21 पीएचसी तथा सदर अस्पताल एवं मधुबनी मेडिकल कॉलेज में ही टीकाकरण किया जाएगा। शेष 71 एपीएचसी, हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर टीकाकरण नहीं किया जाएगा।
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