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आईआरएस प्रथम चक्र में कुल लक्षित आबादी के 64 प्रतिशत लोग हो चुके लाभांवित

- जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर 5 मार्च से हो रहा छिड़काव 
- 66 दिनों के प्रथम चक्र में 41 दिन हो चुके पूरे 

प्रिंस कुमार 

सीतामढ़ी, 16 अप्रैल ।
जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर आईआरएस (इनडोर रेसीडुअल स्प्रे) प्रथम चक्र के तहत छिडकाव कार्य तेजी पर है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रवींद्र कुमार यादव ने बताया  अब तक 194951 लक्षित घरों में से 107607 (55%) में छिडकाव कार्य पूरा हो चुका है। जिले की कुल 974872की आबादी में से अब तक 627460(64 %) इससे लाभान्वित हो चुकी है। उन्होंने बताया  छिड़काव दल प्रिंटेड पंजी, माइक्रो प्लान और सभी जरूरी सामान के साथ क्षेत्र में कालाजार उन्मूलन अभियान में जुटे हुए  हैं। लगातार इसका अनुश्रवण भी किया जा रहा है। इस बार यह छिड़काव 66 दिनों का है। 

54 छिड़काव दल 16 प्रखंडों के 151लक्षित ग्राम में चला रहे मुहिम :
डॉ यादव ने बताया 54 छिड़काव दल 16 प्रखंडों के 151 लक्षित ग्राम में अभियान चला रहे हैं। अब तक 81 गांवों में छिडकाव कार्य किया गया है। इस चक्र में ' कोरोना काल में दो गज की दूरी और घर में दो गज दवा का छिड़काव कालाजार से बचाव में जरूरी' का नारा दिया गया है। एक छिड़काव दल को प्रतिदिन 50 घरों में सिंथेटिक पायरेथ्रॉयड दवा का छिड़काव करना है। माइक्रो प्लान में स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि किस दिन किस घर से किस घर तक दवा का छिड़काव करना है। उन्होंने बताया  कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। दवा का छिड़काव बालू मक्खी को मारने के लिए किया जाता है। छिड़काव सभी घरों (सोने का कमरा, पूजा घर, रसोई आदि ) में, घरों के बरामदा और गौशाला में दीवारों पर जमीन से पूरी दिवाल पर तक की जाती है। सिर्फ छत को छोड़ दिया गया है।  छिड़काव के बाद 3 महीने तक दीवार की लिपाई पुताई नहीं करवानी चाहिए, क्योंकि इससे दवा का असर समाप्त हो जाता है। कच्चे घरों, अंधेरे व नमी वाले स्थानों पर विशेष तौर पर छिड़काव कराया जाना है।

कालाजार की संभावनाओं को जड़ से मिटाने पर जोर :
डॉ रवीन्द्र ने बताया  सीतामढी जिला दो साल पहले ही 2018 में ही कालाजार उन्मूलन के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर चुका है, जबकि वर्ष 2020 तक लक्ष्य को प्राप्त करने की समयसीमा थी। बाढ़ग्रस्त इलाका जैसी चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति के बावजूद समय से पहले लक्ष्य हासिल करने के लिए कई अनूठी पहल कालाजार उन्मूलन में हथियार बने। सामुदायिक सहभागिता, खेल-खेल में स्कूली बच्चों के अंदर व्यवहार परिवर्तन का प्रयास, जागरूकता संदेश और सबसे बड़ी बात लक्ष्य हासिल करने की जीजीविषा ने बड़ी सफलता का मार्ग प्रशस्त किया। डॉ यादव ने बताया  जिले में कालाजार की संभावनाओं को जड से मिटाने के लिए लगातार जागरूकता  अभियान चलाया जा रहा है। आईआरएस द्वितीय चक्र के तहत छिड़काव कार्य में जुटे स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर कालाजार से बचने के उपायों की जानकारी तो दे ही रहे हैं, प्रचार वाहन पर बैनर-पोस्टर और जागरूकता संदेश वाले ऑडियो के जरिये भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। 

कोविड प्रोटोकॉल का पालन सबके लिए जरूरी : 
डॉ यादव ने बताया  कोरोना काल में कदम-कदम पर एहतियात बरतने की जरूरत है। कालाजार उन्मूलन अभियान में जुटे स्वास्थ्य कर्मी मास्क पहनकर और दो गज की दूरी बनाकर काम में लगे हैं। वे अपने काम के सिलसिले में घर-घर दस्तक देने के दौरान लोगों को भी कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए तीन मूल मंत्र का हर किसी को पालन करने की सलाह देते हैं। मास्क का नियमित उपयोग, नियमित अंतराल पर साबुन से हाथ धोते रहना और दो गज की शारीरिक दूरी का अनुपालन करने के प्रति जागरुक करते हैं। डॉ यादव ने कहा कि किसी भी स्तर पर कोरोना के प्रति लापरवाही काफी भारी पड़ेगी। समुदाय की जागरूकता ही कोरोना को मात दे सकती है।

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