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बाबा अमर सिंह की उत्पत्ति कमल पुष्प से हुई थी.

अमित कुमार यादव
शाहपुर पटोरी अनुमंडल । क्षेत्र के शिउरा गाँव स्थित निषादों की राष्ट्रीय तीर्थ स्थल बाबा अमर सिंह स्थान में हर साल चैत माह के रामनवमी के अवसर पर दूध अभिषेक किया जाता था। इस मेला में कई प्रांतों से श्रद्धालुओं अपना मन्त मानते हैं। लगातार अगले सालों से कोरोना महामारी के कारण नहीं लगता है मेला । लेकिन दूरदराज से आये लोग  चोरी चुपके से बाबा अमर सिंह का दर्शन कर ही लेते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा मन्नत पूरी होने पर मंदिर द्वार पर चांदी के सिक्के को काटी से ठोक देते हैं वहीं मिट्टी के बने हाथी घोड़ा भी श्रद्धालुओं ने बाबा को चढ़ाते थे। हजारों लीटर दूध भी श्रद्धालुओं ने बाबा को समर्पण किया करते थे लेकिन इस बार कोरोना महामारी के बहुत कम लोग ही मंदिर परिसर में पहुंच पाए। लोगों की माने तो बाबा अमर सिंह का उत्पत्ति जमुना नदी में एक निषाद महिला द्वारा तोड़े गए कमल फूल से हुआ था इस क्षेत्र में जब गंगा नदी के पानी से विनाशकारी बाढ़ तबाही मचा रहा था तब यहां एक जटाधारी साधु सोने की नाव से प्रगट होकर गंगा से आराधना किया ,जिससे गंगा का पानी उतर गया वहीं शादी भी अंतर्ध्यान हो गए जो बाद में चलकर बाबा अमर सिंह के नाम से प्रसिद्ध हुए बताया जाता है कि सोने की नाव आज भी मंदिर परिसर में के कुएं में है जिसका जंजीर आज ही देखा जा सकता है बाबा की सेवा कर सेंट्रो कुष्ठ रोगी कुछ ही दिनों में चंगा होगे घर लौट जाते हैं मंदिर में बाबा की कोई प्रतिमा नहीं है श्रद्धालु मंदिर में बने एक चित्र में ही हजारों लीटर दूध चढ़ाते हैं वह दूध कहां जाता है आज तक कोई जान नहीं सका कोरोना को लेकर मंदिर परिसर में रामनवमी के अवसर पर भी सन्नाटा पसरा रहा।#शाहपुर पटोरीशाहपुर पटोरी

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