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कोरोना के बीच एईएस से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

- डीएम ने जिला कंट्रोल रूम के लिए 06222-257060 और 06222-257061 तथा मेडिकल कंट्रोल रूम का नंबर 06222-259293 और 06222-259295 जारी किया

प्रिंस कुमार 

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन कोरोना संक्रमण से बचाने में लगा है तो एईएस की चुनौती भी उसके सामने है। तापमान में इजाफा के साथ ही बच्चों में सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायतें एईएस का रूप नहीं ले, इसके लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने पूरी ताकत झोंक दी है। एईएस और कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के लिए डीएम सज्जन राजशेखर ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। डीएम ने जिला कंट्रोल रूम के लिए 06222-257060 और 06222-257061 तथा मेडिकल कंट्रोल रूम का नंबर 06222-259293 और 06222-259295 जारी किया है। साथ ही लोगों से इन नंबरों पर सूचना देने की अपील की है।

दवा-उपकरण उपलब्ध कराया गया

आशा, सेविका, सहायिका, जीविका दीदी, एएनएम और ग्रामीण चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आगाह किया जा रहा है। साथ ही सभी अस्पतालों में इलाज और दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करा दी गई है। सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी तक तय मानक के मुताबिक दवा व उपकरण उपलब्ध करा दिए गए हैं। यूनिसेफ समेत अन्य सहयोगी संस्था भी एईएस-चमकी बुखार से बचाव में सहयोग कर रही है। 

विभाग एईएस की चुनौती के लिए तैयार 

सिविल सर्जन डॉ. आरपी सिंह ने बताया स्वास्थ्य विभाग एईएस और चमकी बुखर की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। सदर अस्पताल समेत सभी पीएचसी में इसके लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। इलाज के लिए उपकरण और दवा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया यह एक जानलेवा बीमारी है। 

माइकिंग के जरिए जागरूक किया जा रहा

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ कामेश्वर कुमार सिंह ने बताया माइकिंग के जरिए लोगों को बताया जा रहा है कि वे बच्चों को रात में भूखे पेट नहीं सुलाएं । तेज धूप में बच्चों को नहीं जाने दें । जगह-जगह पोस्टर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा। किसी तरह की कोई परेशानी होने पर तुरंत स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाएं, जहां बच्चे की समुचित इलाज की व्यवस्था की गई है। वहीं स्कूलों में बच्चों को एईएस पर जागरूक किया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी की गई है। 

एईएस के लक्षण 
- बच्चों को बहुत ही तेज बुखार होता है।
 -बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है। 
- मुंह से भी झाग आता है।
- भ्रम की स्थिति होना।
- पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना।
 - हाथ पैर का अकड़ होना।
- बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक संतुलन का ठीक नहीं रहना।
- बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है। 

 एईएस से बचने हेतु सावधानियां

- बच्चों को धूप से बचायें।
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
- पैरासिटामोल की गोली या सीरप दें।

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