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चैत्र नवरात्र कब से होंगे शुरू, इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां अम्बे

पंकज झा शास्त्री 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- चैत्र नवरात्र 2021,13 अप्रैल मंगलवार से प्रारंभ हो रही है, राम नवमी इसवार 21 अप्रैल बुधवार को और विजया दशमी 22 अप्रैल गुरुवार को मनाई जाएगी।
वर्ष के चार नवरात्र में से प्रथम नवरात्र चैत्र नवरात्र को कहा गया है जिसे बसंत नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो मां दुर्गा के मुख्य वाहन शेर के बारे में सभी जानते है परंतु शास्त्रों के अनुसार जब मां दुर्गा ऋतु परिवर्तन काल में पृथ्वी लोक में आती है तो उनका वाहन दिन बार के अनुसार निर्धारित होता है। पंडित पंकज झा शास्त्री का कहना है कि इस बार चैत्र नवरात्र के दौरान माता का आगमन घोड़ा पर और प्रस्थान नर के संग कंधे पर होकर करेगी। माता का घोड़े पर सवार होकर आना कई मायनों में शुभ का संकेत नहीं माना जा सकता है वही राहत की बात यह है की माता का नर के कंधे पर सवार होकर प्रस्थान सुख समृद्धि में बढ़ोतरी होगी। इस बार विषकुंभ और प्रीति योग में नवरात्र का आरंभ हो रहा है । इस दिन चंद्रमा में राशि में रहेंगे साथ ही देर तक सूर्य भी मेष राशि में आ जाएंगे। एसे में यह अदभुत संयोग ही कह सकते है कि राशि चक्र की पहली राशि में चैत्र नवरात्र यानी नव संवत के पहले दिन ग्रेहों के राजा और रानी स्थित होंगे साथ ही नवरात्र का आरंभ अश्विनी नक्षत्र में होगा । ऐसे में यह भी कहना उचित होगा की कई कठिन समय में देश और दुनिया को कोइ चमतकारिक रास्ता भी निकल सकता है।

प्रथम नवरात्रि के दिन दोपहर बाद 3.16 बजे तक विष्कुम्भ योग रहेगा। उसके बाद प्रीति योग शुरू होगा।
 इस बार प्रतिपदा 12 अप्रैल की दिन के 11.14 बजे से 13 अप्रैल की दिन के 08:55 बजे तक रहेगी। उदया तिथि में एकम होने के कारण नवरात्रि की शुभारंभ 13 अप्रैल को होगा। 
 इस बार अमावस्या और नव संवत्सर के दिन सूर्य और चंद्रमा ठीक एक ही अंश पर है अर्थात मेष राशि में नया चंद्रमा उदय होगा। 
 घट स्थापना शुभ मुहूर्त 13 अप्रैल को सुबह 5:42 बजे से दिन के 8.55 बजे तक।

90 साल बाद विचित्र परिस्थिति बन रही हैl
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष 2078 आनंद नही, राक्षस नाम से जाना जाएगा। लोगों के मन मे सवाल होता होगा कि क्रम अनुसार संवत्सर प्रमादी के बाद आनंद होना चाहिए फिर संवत्सर 2078 राक्षस नाम से क्यों? इस पर पंडित पंकज झा शास्त्री का कहना है कि
इस जानकारी हेतु 31 गते चैत्र 13 अप्रैल मंगलवार से शुरु हो रहे नवसंवत्सर के दिन दो बजकर 30 मिनट में सूर्य का मेष राशि में प्रवेश हो रहा है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही विषुवत संक्रांति प्रारंभ हो जाएगी। विषुवत संक्रांति का पर्व 9 गते वैशाख 14 अप्रैल बुधवार से मनाया जाएगा। संवत्सर प्रतिपदा तथा विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है। निर्णय सिंधु के भी संवत्सर प्रकरण मे यह उल्लेख किया गया है कि संवत्सर क्रमानुसार चलते है 89 वर्ष का ' प्रमादी संवत्सर अपना पूरा वर्ष व्यतीत नही कर रहा है इसे अपूर्ण संवत्सर के नाम से जाना जाएगा 90 वर्ष में परने वाला संवतसर विलुप्त संवत्सर आनंद का उच्चारण नही किया जाएगा। यह विचित्र परिस्थिति 90 सालों से अधिक समय के बाद हो रही है। मुहुर्त चिंतामणि के शुभाशुभ प्रकरण में श्लोक संख्या 53 में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि बृहस्पति मेष, वृष, कुंभ, मीन राशि को छोड़कर अन्य राशियों में तीव्र गति से सौरमंडल में विचरण करते है। जिस कारण संवत्सर प्रतिपदा व विषुवत संक्रांति एक साथ पड़ती है। पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि नव संवत्सर के नाम को लेकर विद्वानों में भिन्न भिन्न मत देखी जा रही है।

राजा व मंत्री मंगल देव 
वर्ष का राजा व मंत्री का पदभार स्वयं मंगल देव संभाले हुए है। मंगल देव की उग्रतापूर्ण दशा में एवं राक्षस नाम संवत्सर होने से जनमानस उग्रता के साथ राक्षसी प्रवृत्ति का सा आचरण बढ़ेगा। इस संवत्सर में शनि देव को कोई भी विभाग नही दिया गया है। उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया गया है। इस संवत्सर वर्ष में विद्वेष, भय, उग्रता, राक्षसी प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। यदा-कदा दुर्भिक्ष, अकाल तथा संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहने की संभावना है। गुरु के पास वित्त विभाग रहेगा, धन की कमी नही होने दी जाएगी। बुध देव कृषि मंत्री है जिससे अनाज की कमी नही आएगी। चंद्रमा पर देश रक्षा का भार रहेगा। वैसे कहीं कहीं हिंसा या युद्ध जैसे हालात भी बन सकते है। भूकंप या प्राकृतिक आपदा के कारण जनमानस को काफी क्षति पहुंचने की संभावनाओं मे अधिक प्रवलता है। राजनीतिज्ञ लोगो के वाणी अनियंत्रित होने के कारण क्षति पहुंच सकती है। हालांकि कई निर्णय एसे होने की आशा है जिससे भारत के बातों को विश्व बहुत ही गहराई से समझेंगे। टेकनोलोजी,विज्ञान,संचार के क्षेत्र में प्रगति होगी।
वैसे सभी नया बदलाव परिवर्तन कारण है अतः हम ईश्वर से प्रार्थना करते है कि सभी का कल्याण हो जय माता दी।

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