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पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का गला घोंटने की साज़िश हो रही है ‌ : पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह

(बिहार सरकार के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह से वरिष्ठ पत्रकार अनूप नारायण सिंह की खास बातचीत)

जरूरत पड़ी तो लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए एक बार फिर वे बंगाल जा सकते हैं। 

 बंगाल में रहने वाले समस्त बिहारी समाज ममता के साथ।
मिथिला हिन्दी न्यूज : - हिंद मजदूर सभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं बिहार आंदोलन के प्रमुख नेता रहे पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कहा है कि आज संपूर्ण देश कोरोना महामारी के दंश को झेल रहा है। इसके अलावा कुछ और न‌ई बीमारियां ब्लैक एवं ह्वाईट फंगस ने उसे और विकराल और जानलेवा बना दिया है। सरकार को इस महामारी से मुकाबला करने के लिए आगे आना चाहिए था। उसकी सारी प्राथमिकताएं जीवन और मौत के बीच जूझ रहे लोगों के लिए अस्पताल, इलाज,दवा, आक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था तक सीमित होना चाहिए था मगर दुर्भाग्य है कि यह चुनावजीवी सरकार बंगाल में पूरी तरह पिट जाने के बाद भी न तो वह अपनी पराजय स्वीकार कर रही है और न ही वह बंगाल से बाहर निकल पा रही है।

पूर्व मंत्री श्री सिंह ने यह भी कहा है कि बंगाल में अपार बहुमत से चुनी गई ममता सरकार को भाजपा सुनियोजित और सुविचारित तरीके से बदनाम करने के लिए तरह-तरह की हथकंडे अपना रही है। यदि बंगाल में चुनी हुई सरकार को केन्द्र काम करने से रोकती है या उसके काम में विघ्न डालती है तो यह जनादेश के अपमान के साथ -साथ खिलवाड़ भी होगा। बंगाल की जनता उसे कदापि स्वीकार नहीं करेगी।
श्री सिंह के अनुसार बंगाल में चुनाव आयोग के पक्षपात पूर्ण रवैए और गोदी मीडिया के दुराग्रह पूर्ण दुष्प्रचार के चलते बंगाल के बारे में पूरे देश में यह ग़लत जानकारी दी जा रही है कि ममता बनर्जी के आने के साथ बंगाल जल रहा है। सांप्रदायिकता चरम पर है। हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग और विपरीत है। सच बात यह है कि ममता बनर्जी के पदभार संभालते ही कानून व्यवस्था को 24 घंटे के भीतर नियंत्रित कर लिया गया। कोई हंगामा नहीं। शांति, सद्भाव और संस्कृति बंगाल की विरासत है और बंगाल ममता बनर्जी के नेतृत्व में अपनी विरासत को समेटे संपूर्णता के साथ खड़ी हैं। फिर भी, संवैधानिक पद पर बैठे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बेवजह अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए भ्रम फैला रहे हैं। यह भारतीय लोकतंतांत्रिक मर्यादाओं के न केवल प्रतिकूल है बल्कि एक तरह से भारतीय संघीय ढांचे पर प्रहार भी है।
पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने यह भी कहा है कि आज केंद्र सरकार की लापारवाही और चुनावजीवी पीएम के जिद्द के चलते ही बंगाल में कोरोना पीड़ितों की तादाद और हालात बेकाबू हो चला है। घर-घर में कोरोना फैली है। श्मशानों पर लाशों की कतार है। केन्द्र बंगाल को इस महामारी के समय मदद करने के बजाय घृणित साजिशें कर रही है। नरेंद्र सिंह ने कहा कि यह देश लोकतंत्र और संविधान से चलेगा। बंगाल सुभाष चन्द्र बोस, रवीन्द्र नाथ टैगोर और खुदीराम बोस की भूमि है यहां तानाशाही नहीं सिर्फ लोकशाही चलेगा।
समाजवादी आंदोलन की पृष्ठभूमि से आने वाले श्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि हम गांधी, लोहिया और जयप्रकाश के वारिस हैं। सत्ता तो आती और जाती है। हमारे लिए लोकतंत्र, संविधान और समाजवाद महत्वपूर्ण है। जेपी ने कहा था कि ' लोकतंत्र हमारे जीवन में उस आकाशदीप की तरह है जिसका सौदा हम रोटी, कपड़ा और मकान जैसी आवश्यक जरूरतों के लिए भी नहीं कर सकते।' इसलिए हम दावे के साथ कह रहे हैं कि बंगाल में लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश हुईं तो जान की बाजी लगाकर हमलोग उसकी रक्षा करेंगे। लोकतंत्र बचाने के लिए हमलोग बिहार से किसान नेताओं की टीम लेकर राकेश टिकैत, युद्धवीर सिंह एवं अन्य नेताओं के साथ विधान सभा चुनाव के दौरान भाजपा को हराने बंगाल ग‌ए थे और जरूरत पड़ी तो एक बार फिर से हमलोग बंगाल संविधान बचाने और बर्बर सत्ता से लोहा लेने भी जाएंगे।

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