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कोरोना महामारी में मन को स्थिर कैसे रखेें ?

श्री. रमेश शिंदे

कोरोना महामारी के कारण निर्माण हुई स्थिति में अनेक लोगों की नकारात्मता, निराशा और भय में वृद्धि हुई है तथा कुछ लोगों के मानसिक संतुलन पर भी नकारात्मक परिणाम हुआ है । ऐसी स्थिति में नियमित साधना करने से मानसिक तनाव, भय अल्प होंगे तथा मन चिंतामुक्त होकर हम आनंदी रह सकते हैं । ईश्‍वर से की गई प्रार्थना से हमें असाधारण बल प्राप्त होता है । प्रार्थना से रोगनिवारण भी होता है, ऐसा आधुनिक विज्ञान द्वारा किए विविध प्रयोगों से सिद्ध हुआ है । स्वयं का मनोबल और सकारात्मता बढाने के लिए अपने जीवन में प्रार्थना को अपनाएं । वर्तमान प्रदूषित वातावरण में वायु की शुद्धता तथा विषैली वायु और विकिरण से रक्षा करनेवाली ‘अग्निहोत्र’ विधि भी अवश्य करें । वर्तमान आपातकाल में ऐसे विविध उपाय अपनाने के साथ ही नियमित साधना करें, ऐसा आवाहन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘कोरोना वैश्‍विक महामारी : ‘मन को स्थिर कैसे करें ? भाग २’ इस ‘ऑनलाइन विशेष संवाद’ में वे मार्गदर्शन कर रहे थे । यह कार्यक्रम ‘फेसबुक’ और ‘यू-ट्यूब’ के माध्यम से 7827 लोगों ने देखा ।

हरियाणा के वैद्य भूपेश शर्मा ने कहा कि, ‘कोरोना महामारी में स्वयं के आरोग्य हेतु तात्कालिक उपाय न कर आयुर्वेद को अपनी दिनचर्या का एक भाग बनाने पर हमें शारीरिक और मानसिक बल मिलेगा । ऑक्सिजन सिलेंडर के माध्यम से शरीर को प्राणवायु (ऑक्सिजन) देना जैसे तत्कालिक उपायों पर निर्भर न रहकर अपने आहार में शुद्ध तेल, घी जैसे घटक अपनाने पर शरीर की वायु नियंत्रित रहती है । साथ ही शरीर पर अभ्यंग (तेल) का उपयोग करने पर प्राणवायु के स्तर में सुधार होता है । बासी भोजन का सेवन न करें । उचित आहार लेकर नियमित व्यायाम, योगासन, प्राणायाम करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है । लोग धर्मपालन अर्थात जीवन जीने के लिए बनाए गए नियमों का पालन करें ।’ 

संवाद को संबोधित करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने कहा, ‘वर्तमान काल में कोरोना विषाणु से बाधित होने की संभावना होते हुए भी अनेक लोग स्वप्रेरणा से अन्य लोगों की सहायता कर रहे हैं । परंतु इसके साथ ही स्वार्थ के उद्देश्य से बडी मात्रा में भ्रष्टाचार, औषधियों की कालाबाजारी, मुनाफाखोरी सहित अनेक अनुचित प्रकार हो रहे हैं । इन्हें सामने लाने के लिए जनता प्रयास करे । वर्तमान काल में सभी का अनुशासन में रहना आवश्यक है । वर्तमान स्थिति की गंभीरता ध्यान में रखकर शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त होने के लिए उचित दिनचर्या शतप्रतिशत लाभकारी होगी ।’


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