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असमय जन्मा नवजात, केएमसी से मिला जीवनदान

- जन्म के समय 1835 ग्राम था वजन
- एक हफ्ते में केएमसी से स्वस्थ हुई बच्ची

प्रिंस कुमार
मोतिहारी। 25 जून 
असमय जन्मा नवजात अपने साथ बहुत सारी कमियां भी लाता है। ऐसा ही कुछ दुबहा बरियारपुर की रिंकू देवी के साथ हुआ। 17 जून को रिंकू को उसकी पहली संतान का जन्म समय से एक माह पहले ही हो गया। जन्म के समय से ही वह कम वजन होने के साथ वह मां का दूध भी ठीक से नहीं पी रहा था, पर केयर ब्लॉक मैनेजर नारायण सिंह की तत्परता और जानकारी ने रिंकू की चिंता की लकीरें कम कर एक मां को उसकी ममता भेंट कर दी। 

कंगारु मदर केयर से सुधरी हालत
केयर ब्लॉक मैनेजर कहते हैं कि रिंकू जो दुबहा बरियारपुर के वार्ड नम्बर 6 की रहने वाली है। उसे 17 जून को पहला बच्चा हुआ था, जो 4 सप्ताह 2 दिन पहले ही हो गया था। जन्म के समय नवजात का वजन 1835 ग्राम था। दिक्कत यहां हो रही थी कि वह अपनी मां का दूध नहीं खींच पा रही थी। कम वजनी बच्चों के साथ यह अक्सर ही होता है। इसके लिए रिंकू को कंगारु मदर केयर की विधियों को बताया गया। जिससे एक हफ्ते में ही नवजात की हालत स्थिर हो गयी है। अब वह ताकत के साथ स्तनपान करती है। आशा ललिता देवी कहती है कि वह रोज रिंकू के यहाँ गृह भ्रमण करती है और उसे बच्चे का हालचाल और कंगारु मदर केयर की विधियों को बताती है। वहीं नवजात के खान-पान के बारे में विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जा रही है। इसके साथ ही टेलिफोनिक इंटरव्यू भी किया जा रहा है। 
राफ्ट एप्लिकेशन से नवजातों पर रखी जा रही नजर 
बीएम नारायण सिंह कहते हैं कि बच्चों की देखभाल के लिए लगातार तीन दिन स्वास्थ्य समन्वयक तथा आशा कर्मी बच्चों के घर जाते हैं। मोबाइल एप्लीकेशन राफ्ट पर तस्वीर अपलोड की जाती है। फिर उचित देखभाल की सलाह दी जाती है। चौथे दिन और सातवें दिन प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य प्रबंधक मौके पर पहुंचकर इसी प्रक्रिया को दोहराते हैं। इस विधि से नवजात की पहचान और ट्रेसिंग आसान हो जाती है। इस सॉफ्टवेयर को लाने का मुख्य मकसद नवजातों में मृत्यु दर को कम करना है।

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