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आइए जानें, सीतामढ़ी के नागेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास

रोहित कुमार सोनू 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- शिव भक्तों के लिए सावन का महीना बेहद खास होता है, सावन मास में श्रद्धालु शिव भक्त शिवजी के दर्शनों के लिए अनेक शिव धामों की यात्रा करते हैं। सीतामढ़ी जिले के जनकपुर रोड रेलवे स्टेशन से लगभग 500 मीटर दूरी पर नागेश्वरनाथ  मंदिर है। बिहार के लोगों के लिए यह मंदिर आस्था का केंद्र है। जहां पर सभी की मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर की मान्यता है कि  धतूरा व बेलपाती व दुग्धाभिषेक करने से मनोकामना पूर्ण होती है। 

 मंदिर का इतिहास

लगभग 62 वर्ष पूर्व यहां एक खेल का मैदान था। कुछ बच्‍चे मैदान में खेल रहे थे कि छोटा सा कंचा पेड के नीचे एक दरार में फंस गया। बच्‍चों ने  ज्‍यों ज्‍यों इस कंचे को निकालने की कोशिश करते , यह और नीचे गहरे चला जाता। बच्‍चों ने खुरपी लाकर वहां से कंचा निकालना चाहा तो अंदर से पत्‍थर टकराने की आवाज आयी। उस आवाज की दिशा में खोदते हुए बच्‍चों ने जब अच्‍छी खासी मिट्टी निकाल ली , तो वहां एक शिवलिंग मिला । इसे संयोग ही कह सकते हैं कि जिस बच्‍चे को यह मिला , उसका नाम नागेश्‍वर था । खबर पूरे इलाके तक आग की तरह फैली , सबने इनके लिए एक मंदिर का निर्माण किया। इस तरह यह माना जाने लगा कि इस स्‍थान पर बाबा नागेश्वर नाथ के रूप में शंकर भगवान ने स्‍वयं को यहां स्‍थापित किया है। धार्मिक मान्यताओं में आज भी सीतामढ़ी जिले के पुपरी बाबा  नागेश्वरनाथ  की पहचान के रुप में जाने जाते हैं और नेपाल और बिहार के कोने कोने से आने वाले भक्त श्रद्धालुओं के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है।

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