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कभी कलम तो कभी तलवार है पत्रकार,बड़ी आग है इस कलम में तुम खाक में मिल जाओगेआरण्यक काव्य मंच, साहिबगंज के पटल से कवि उदय भारती ने बाधां समांपत्रकारिता और समसामयिक कविताओं से किया सराबोर, हास्य व्यंग्य के चलाया तंत्र पर तीरफेसबुक से हुए लाइव में जुड़े रहे क्षेत्र के साहित्यप्रेमी,गदहा को चुनाव लड़ने की इच्छा, एक पिता का दर्द, मगही को संवैधानिक दर्जा देने की मांग पर सुनायी कविताएं


नवादा से आलोक वर्मा की रिपोर्ट
नवादा : युगों-युगों से क्रांति का सूत्रधार है पत्रकार, कभी कलम तो कभी तलवार है पत्रकार, वक्त पड़े तो बज्र का प्रहार है पत्रकार.....। बंदुक चलाने वाले सोचो कितना आंतक मचाओगे बड़ी आग है इस कलम में तुम राख में मिल जाओगे। ऐसी पंक्तियों ने जिले के व्यंग्यकार व पत्रकार कवि उदय भारती ने समां बांधा तो लोग वाह..वाह कर उठे. आरण्यक काव्य मंच, साहेबगंज, झारखंड से फेसबुक पटल से एकल काव्य पाठ का आयोजन था। 
  उन्होंने पत्रकारिता धर्म को रेखांकित करते हुए इसे बेहतर लोकतंत्र की सुचिता के लिए जरूरी बताया। कल और आज की पत्रकारिता को रखा। पत्रकार साथियों पर हो रहे हमलों पर पर उन्होंने कहा कि कलम की आग बड़ी है।
आरण्यक मंच के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर, संस्थापक विजय कुमार भारती, कार्यक्रम संयोजक अवधेश कुमार अवधेश, पटल संचालक भगवती रंजन पांडेय, परामर्शदाता अभय कुमार, विनय कुमार झा,  उषा भारती, तकनीकी संचालक अमन कुमार होली, कवि अंजनी कुमार सुमन सहित संस्था के अधिकारियों के संयोजन, अध्यक्षता और संचालन में आयोजन था। जिले के कवि व साहित्यप्रेमी ऑनलाइन जुड़े थे.
पंचायत चुनाव को देखते हुए उदय भारती ने मैं भी इलेक्शन लड़ुंगा कविता से सबकों हंसाया। गदहे को चुनाव लड़ने की तैयारी और जात का बोलवाला पर जमकर कटाक्ष किया। कैसे कह दूं मैं बाप हूं कविता के माध्यम से उन्होंने बेटे और बहू से मिलने वाले पिता के दर्द को रखा। झुक जाएगी जब मेरी कमर, सहने लगूंगा जब कुलीन बहुओं के व्यंग्यवाणों को जहर, तब कहीं जाकर पहुंचुगां बाप का शहर। मतदाता पहचान पत्र में सुधार नहीं होने पर बीएलओ और तंत्र की खींचाई की। साथ ही मगध सहित बिहार की मुख्य मातृभाषा मगही को संवैधानिक भाषा का दर्जा देने की मांग को कविता के माध्यम से रखा।
कार्यक्रम में वरीय साहित्यकार व आलोचक लक्ष्मण प्रसाद, वरिष्ठ कवि राजकुमार, अंजनी कुमार  
सुमन, राकेश बिहारी शर्मा, राजेंद्र ठाकुर काकाश्री, अरूण सिन्हा, रेणुबाला, सपना चंद्रा, निर्मल गायत्री, विद्याधर साव, कविता शर्मा, जिले और क्षेत्र से डॉ शैलेंद्र कुमार प्रसून, नीरज प्रकाश नवादिया, नंद किशोर प्रसाद, कुमार प्राणेश, सतीश कुमार, देवेंद्र विश्वकर्मा, संतोष टंडन, श्रवण यादव सहित सैकड़ों साहित्यप्रेमी जुड़े हुए रहे।

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