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सावन में क्या है सूर्य देव की पूजा का महत्व जानें

पंकज झा शास्त्री

मान्यता है कि अगर सावन के रविवार को सूर्यदेव की आराधना की जाए तो उसका भी विशेष महत्व होता है। ऐसे में भोलेनाथ और माता पार्वती के साथ रविवार के दिन आराध्य देव सूर्य की भी पूजा करनी चाहिए। इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ सूर्यदेव को भी जल चढ़ाएं। मान्यताओं के अनुसार, अगर सूर्य की आराधना उदय होते हुए की जाए तो उसका बेहद शुभ होता है। साथ ही कल्याणकारी भी होता है। सावन में सूर्यदेव की पूजा का महत्व बेहद विशेष हो जाता है।
सावन में शिव के साथ-साथ विधि-विधान के साथ सूर्य की पूजा भी करनी चाहिए। सूर्यदेव का स्मरण कर एक लोटा लें और उसमें जल डालें। फिर उसमें कुमकुम मिलाकर सूर्य के अर्घ्य दें। सूर्य और शिवलिंग पर लाल चंदन चढ़ाएं। सूर्यदेव को लाल कनेर के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। साथ ही लड्डू या गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद सूर्यदेव के मंत्र का जाप करें। अगर आप सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ इस मंत्र का जाप करेंगे तो आपको यश की प्राप्ति होगी। साथ ही सिद्धि की भी प्राप्ति होगी।
सूर्य मंत्र:
ह्रीं सूर्याय सर्वभूतानां शिवायार्तिहराय च। नम: पद्मप्रबोधाय नमो वेदादिमूर्तये।।

इस मंत्र का जाप करने के बाद सूर्य देव के चित्र की प्रदक्षिणा करें। रविवार के दिन व्रत भी करें। ध्यान रहे कि सूर्यास्त से पहले नमक न खाएं। मान्यता है कि विधिपूर्वक ऐसा करने से संतान सुख में वृद्धि होती है, वैदिक ज्योतिष में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है, ऐसे में यह माना जाता है कि इनकी पूजा पूर्ण होने के बाद यह जातक को दिव्य आशीर्वाद देते हैं।
मान्यता के अनुसार इस पूजा को करने से सूर्य से जुड़ा कोई भी दोष निष्प्रभावी हो जाता है। और जातक बिना किसी बाधा के मनचाहा लक्ष्य प्राप्त कर सुख की प्राप्ति कर सकता है।
यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो माना जाता है कि ऐसा व्यक्ति के जीवन में कम आत्मविश्वास और समाज में उच्च स्थिति प्राप्त करने से संबंधित समस्या रहतीं है। जातक को समाज से अपमान मिलता है।
एक पीड़ित सूर्य पितृ दोष का निर्माण करके पिता या पिता की आकृति के साथ समस्या का कारण बनता है, इस प्रकार, आपके दोष, स्वास्थ्य, धन और स्थिति से संबंधित कुछ क्षेत्रों को दूर करने के लिए, सूर्य के दुष्प्रभाव को नकारने के लिए सूर्य पूजा सभी को करना चाहिए।

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