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यहां बच्चों के दिमाग कि की जाती है जांच उनकी रूचि के अनुसार मिलती है शिक्षा आर्थिक कारण नहीं बनते हैं इस विद्यालय में बाधा

अनूप नारायण सिंह 

पटना। किसी भी बड़ी निजी विद्यालय के शिक्षण पद्धति को लेकर जब चर्चा होती है तो अभी अभिभावकों के चेहरे पर शिकन आ जाती यह सच भी है कि निजी विद्यालय पूरी तरह से आर्थिक दोहन कर लेते हैं बावजूद इसके कभी-कभी कुछ ऐसे शिक्षण संस्थान भी सामने आते हैं जो मिसाल बन जाते हैं आज की कहानी में एक ऐसे ही शिक्षण संस्थान की जो राजधानी पटना में हाईटेक एजुकेशन के साथ ही साथ दे रहा है अभिभावकों को बड़ी राहत। राजधानी पटना के जीरोमाइल से सटे नंदलाल छपरा में अवस्थित नॉलेज ग्राम इंटरनेशनल विद्यालय सच में खास है इस विद्यालय के निदेशक डॉ सी बी सिंह से आज खास मुलाकात हुई तथा विद्यालय परिसर का भी भ्रमण करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ नई सोच नई अवधारणा के साथ स्थापित यह विद्यालय कई मायनों में अलग इस विद्यालय में सूर्योदय से पहले कक्षाएं प्रारंभ हो जाती है। विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के लिए प्राइवेट ट्यूशन पर प्रतिबंध है जो अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन देना चाहते हैं उनका नामांकन विद्यालय में नहीं लिया जाता है विद्यालय में जब छात्रों का नामांकन होता है तो अत्याधुनिक तकनीकों से बच्चे के मानसिक अवधारणा की जांच की जाती है कि बच्चे में ऐसा क्या खास है जिसे आगे बढ़ाया जाए. इस विद्यालय में सूर्योदय से पहले जगने की अवधारणा को आगे बढ़ाया गया है शिक्षा को बोझ नहीं रुचि के तौर पर छात्रों के बीच ले जाने की व्यवस्था की गई हैं।विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था भी अद्भुत है योग्य और कर्मठ शिक्षक छात्रों को नवीनतम तकनीकों से विषय वस्तु को पढ़ाते हैं जो उन्हें समझ में आ जाए कमजोर छात्रों के लिए अलग कक्षाओं की व्यवस्था होती है विद्यालय में शिक्षा के साथ ही साथ खेलकूद क्रिएटिव वर्क की भी व्यवस्था है विद्यालय के निदेशक डॉ सी बी सिंह जो खुद राष्ट्रीय ख्याति के शिक्षाविद है तथा 30 से ज्यादा ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थानों में अपनी सेवा दे चुके हैं उन्होंने बताया कि यह विद्यालय कई मायने में खास है यही कारण है कि राजधानी पटना के अभिभावकों की पहली पसंद बना है भविष्य में योजना है कि नॉलेज ग्राम की शाखाएं बिहार के 38 जिले अनुमंडल और प्रखंडों में खुले और छात्रों को शिक्षा संस्कार नवीनतम तकनीक के साथ प्रदान की जाए उन्होंने कहा कि एक दौर था जब पूरी दुनिया से लोग बिहार में शिक्षा ग्रहण करने आते थे मौजूदा दौर में शिक्षा का पूरी तरह से व्यवसायीकरण हो गया है लोगों के बीच सोच होती है कि बड़ा विद्यालय है तो फीस एडमिशन फीस और कई सारी चीजें काफी महंगी होंगी पर उनके विद्यालय में ऐसा कुछ नहीं है।जब विद्यालय की स्थापना की गई उसी समय यह उद्देश्य तय किया गया कि अभिभावकों से उतनी ही शिक्षण शुल्क ली जाएगी जितने शुल्क से विद्यालय का मैनेजमेंट चल सके कभी भी प्रॉफिट कमाने के उद्देश्य से विद्यालय कोई कार्य नहीं करेगा उन्होंने कहा कि विद्यालय टेन प्लस टू तक सीबीएसएसई से संबद्धता प्राप्त है पटना के सभी रूटों पर ट्रांसपोर्टेशन की बेहतर व्यवस्था है सुरक्षित वातावरण में छात्रों के शैक्षणिक शारीरिक मानसिक विकास के लिए कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि विद्यालय दुनिया के कई ऐसे शैक्षणिक समूह से जुड़ा है जहां विद्यालय शिक्षा को लेकर नित्य नए अनुसंधान हो रहे हैं छात्रों को नवीनतम जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही है। एक सवाल के जवाब में कहा कि उनके विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र कभी भी अगर किसी गंभीर आर्थिक संकट के शिकार हो जाते हैं उनके अभिभावक बीच में ऐसी स्थिति में आ जाते हैं जब बच्चे को नहीं पढ़ा पा सकते ऐसे छात्रों को विद्यालय पढ़ाने का पहले ही संकल्प ले चुका है। उन्होंने कहा कि अभी नामांकन प्रारंभ है और अभिभावक विद्यालय प्रांगण में आकर विद्यालय द्वारा प्रदत शैक्षणिक सुविधाओं का अवलोकन कर सकते हैं।

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