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धार्मिक, आर्थिक, वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य विज्ञान के संगम का विलक्षण त्यौहार ‘दीपावली’


पंकज झा शास्त्री
9576281913

   घी' के अंदर एक सुगंध होती है जो जलने वाले स्थान पर काफी देर तक रहती है जिसकी वजह वह स्थान शुद्ध रहता है और इससे कई तरह की बीमारियों से भी बचाव होता है। इसके अलावा आध्यात्म के अनुसार हमारे शरीर में 7 ऊर्जा चक्र होते हैं, 'घी' का दिया जलाने से यह चक्र जागृत हो जाते है। इससे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। वहीं अगर घी में लौंग डाल दिया जाए तो इससे निकलने वाला धुंआ घर के लिए एयर प्यूरीफायर का काम करता है। जो चर्म रोग से निजात दिलाने में मदद करता है

👉🏼 मिट्टी का दिया पंच तत्व का प्रतीक है, इसे मिट्टी को पानी में गला कर बनाते हैं जो भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है, उसे बनाकर धूप और हवा से सुखाया जाता है जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक हैं फिर आग में तपाकर बनाया जाता है।

👉🏼 दीपावली दरअसल, ये वो समय है जब मौसम में बदलाव होता है। वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। कहा जाता है कि मौसम बदलने से मच्छरों और अन्य किरा का प्रकोप एका एक बढ़ जाता है। दिये जलने से मच्छर उस ओर आकर्षित होते हैं और दिये की ओर जाते हैं और दिये से जलकर मर जाते हैं। यही कारण है कि दिवाली के दिन दिये जलाना शुभ माना जाता है।

👉🏼 अंधकार और प्रकाश के संतुलन और उनकी सहवर्तिता का प्रतीक है और प्रत्येक अस्तित्व के गुण और दोषमय होने के सत्य का संपुष्ट प्रमाण है ऐसे संतुलन के पर्व का लाभ उल्लासमय व्यक्ति सक्रिय भागीदारी से ही उठा सकता है ।

 कार्तिक अमावस्या की काली घनी रात जब अपनी यौवनावस्था के चरमोत्कर्ष पर होती है तो उसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर विशुद्ध, सूक्ष्म व सकारात्मक प्रकाश ऊर्जा का अभाव हो जाता है। तभी अंधकारमयी इस विडंबना की नकारात्मकता को दूर करने व पृथ्वी के कण-कण को प्रकाशमयी ऊर्जा से जीवंतता प्रदान करने हेतु दीपों से भरा प्रकाश पर्व दीपावली प्रभावकारिता की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है। पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि प्रकाश व अंधकार का यह संतुलन और उसकी वैज्ञानिकता जहां जीवन, स्वच्छता व उस से जुड़ी ऊर्जा के समान अनुपातों का एक प्रकरण है, वहीं दूसरी ओर कुछ यौगिक साधनाओं व उनकी सिद्धि हेतु भी इस काल को अत्यन्त उपयुक्त माना गया है। इस अवसर के अनुरूप कुछ जीवनोपयोगी तंत्र व टोटके इस प्रकार हैं। आर्थिक-समृद्धि दीपावली की रात्रि में सात गोमती चक्र की प्राण-प्रतिष्ठा करें तथा उसे अपनी तिजोरी या गल्ले में रख दें। धन-वृद्धि की निरंतरता बनी रहेगी। दीपावली के शुभ मुहूर्त से प्रारम्भ करके प्रत्येक अमावस्या को किसी अपंग या विकलांग भिखारी को भोजन कराएं। धन-समृद्धि में सर्वदा ’वृद्धि होती रहेगी। सिंदूर, सात कौड़ी, कमल के फूल व श्री यंत्र को किसी चाँदी के पात्र में रख कर दीपावली की रात्रि में अपने धन स्थान पर प्रतिष्ठापित करें, आर्थिक उन्नति की निरंतरता सर्वदा बनी रहेगी। दीपावली के शुभ मुहूर्त में साबुत नारियल को चमकीले लाल रंग के कपड़े में लपेटकर अपने धन-स्थान पर प्रतिष्ठापित करें। आर्थिक समृद्धि सर्वदा बनी रहेगी।

धार्मिक मान्यता अनुसार भगवान राम 14 वर्ष के वनवास काट कर जब अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उस दिन दिये जलाकर उनका स्वागत किया। कहा जाता है कि उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि थी। तब ही से कार्तिक माह के अमावस्या तिथि को दिये जलाए जाते हैं और दिवाली मनाई जाती है। तब ही से यह परंपरा शुरू हो गई।

दीपावली या दीवाली अर्थात "रोशनी का त्योहार" शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है। दीवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है।

 पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार दीपावली की रात महादेवी लक्ष्मी को मनाने का सबसे अच्छा समय रहता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस रात देवी महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। अत: इस रात को देवी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न उपाय बताए गए हैं। प्राचीन समय से परंपरा चली आ रही है कि दीपावली की रात में कुछ विशेष स्थानों पर दीपक लगाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। जिससे आपकी पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।

दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश,कुबेर पूजन हेतु शुभ मुहूर्त
२४/१०/२०२२ सोमवार।
संध्या ०५:१६ उपरांत रा १०:२३ तक।
रात्रि निशित काल माँ काली पूजन रात्रि १२:०१ से रा ०३:११ तक।

पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया इस बार दीपावली के बाद यानी २५/१०/२०२२ मंगलवाल को लग रहा है सूर्य ग्रहण जिस कारण इस दिन नहीं होगी गोबर्धन पूजा,इस बार गोबर्धन पूजा एवं अन्नकूट २६ अक्टूबर को मनाई जायेगी १५० वर्ष उपरांत इसबार गोबर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन मनाई जायेगी।
दिनांक २५ अक्टूबर को मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार सूर्य ग्रहण आरम्भ दिन के ०४:४२,सूर्यग्रहण समाप्ति संध्या ०५:०८ बजे।
पंकज झा शास्त्री 9576281913

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