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भारत से बाहर विदेश में एक ऐसा राज्य, जहां 97 फीसदी आबादी हिंदुओं की

संवाद 

भारत के बाहर विदेशों में हिंदू बड़े पैमाने पर रहते हैं. यूरोप से लेकर अमेरिका और ब्रिटेन तक में हिंदुओं ने इकोनामी से लेकर राजनीति तक में खास जगह भी बना ली है. बहुत से हिंदू तो कई पीढ़ियों से विदेश में रह रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच भारत से बाहर एक देश का एक राज्य ऐसा भी है जहां 97 फीसदी आबादी हिंदुओं की है. और यहां उनकी बसावट तीसरी या चौथी सदी से है.

दुनिया में सबसे ज्यादा हिंदू भारत, नेपाल और बांग्लादेश में रहते हैं. इसके बाद अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक हिंदुओं की तादाद अच्छी खासी है. लेकिन भारत से बाहर एक ऐसा राज्य जरूर है, जहां 97 फीसदी आबादी हिंदुओं की है, वो वहां हिंदू परंपराओं के साथ रहते हैं. वहां खूब मंदिर हैं और ये हिंदू वहां कोई एक दो सदी पहले जाकर नहीं बसे बल्कि पहली या दूसरी सदी से रह रहे हैं. ये जगह बाली है, इंडोनेशिया का एक बड़ा और अहम राज्य.

बाली इंडोनेशिया का एक द्वीपी प्रांत है. ये जावा के पूर्व में स्थित है. बाली द्वीप का नाम भी बहुत पुराना है. 1500 साल पहले इंडोनेशिया में मजापहित हिन्दू साम्राज्य स्थापित था. जब यह साम्राज्य गिरा और मुसलमान सुलतानों ने सत्ता ले ली तो जावा और अन्य द्वीपों के अभिजात-वर्गीय बाली भाग आए. यहां कभी हिंदू धर्म का पतन नहीं हुआ. बाली 100 साल पहले हिंदू राजाओं का ही राज था, ये स्वतंत्र था. बाद डच लोगों ने इस पर अधिकार कर लिया. 

यहां की जनता की बड़ी आबादी (करीब 97 फीसदी) हिंदू धर्म में आस्था रखती है. ये विश्व विख्यात पर्यटन स्थल भी है, जिसकी कला, संगीत, नृत्य और मन्दिर मनमोहक हैं. यहां की राजधानी देनपसार नगर है. ये द्वीप कला और संस्कृति की भी अहम जगह है. इसकी इकोनामी से लेकर अहम बिजनेस संस्थानों पर हिंदुओं का वर्चस्व है. बाली का ही एक शहर कूटा 2002 में इस्लामी आतंकवादियों के निशाने पर आ चुका है. तब उनके बम विस्फोट से यहां 202 लोग मारे गए थे.

वैसे यहां का हिंदू धर्म भारत में माने जाने वाले हिंदू धर्म से कुछ अलग है. यहां रामायण और महाभारत को जरूर खूब पढ़ा और माना जाता है लेकिन यहां के बहुसंख्यक हिंदू जीववाद , पूर्वज पूजा या पितृ पक्ष तथा बोधिसत्व के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं. वैसे जहां तक इंडोनेशिया की बात है तो ये मुस्लिम और ईसाई बहुल देश है. 

प्राचीन काल में बाली में पूरी तरीके से हिन्दू वैदिक संस्कृति थीं. बाली द्वीप के नाम के विषय में मान्यता है कि यह नाम पुराणों में वर्णित पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है. यहां के मंदिरों में भगवान गणेश, शिवलिंग और बुद्ध की प्रतिमाएं नजर आती हैं. बाली द्वीप के इतिहास के विषय में ये भी माना जाता है कि चौथी, पांचवीं शताब्दी में वहां हिन्दू राज्य स्थापित हुआ था.

बेशक 18वीं सदी में बाली में डच लोगों की सत्ता आ गई. उससे वहां की राजनीति पर तो असर पड़ा लेकिन धर्म और संस्कृति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. 17 अगस्त 1945 को बाली के सेनानियों ने डच सत्ता से आजादी प्राप्त की. 5780 वर्ग किलो मीटर में फैले हुए इंडोनेशिया के इस बाली द्वीप में समुद्र, पर्वत, झरने, वन आदि का सुंदर सौन्दर्य नजर आता है. बाली द्वीप का आकार मछली की तरह है.

बाली के लोग भी मानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा बंधन से मुक्त हो जाती है, इसलिए वे मृत्यु को एक उत्सव के रूप में देखते हैं. यहां भी हिंदुओं को स्वर्ग, नर्क में यकीन है. कर्म का सिद्धांत माना जाता है. विधिविधान से पूजा की जाती है. परंपराएं मानी जाती हैं. यहां मंदिरों में जाते समय पूरा पैर ढंका होना चाहिए और पुरुषों को लुंगी जैसा वस्त्र पहनना होता है. 

बाली मूर्तियों का देश है. यहां मूर्तियों को काले सफ़ेद चेक के लुंगी जैसे कपड़े पहनाए जाते हैं. ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सरस्वती, कृष्ण, राम, गणेश आदि सभी भगवान की मूर्तियों के दर्शन होते हैं. रामलीला का आयोजन होते हैं. यहां मंदिर को पुरा कहते हैं. बाली उत्सवों का देश है. मुख्य त्यौहार ‘न्येपी’ है. इसे मौन दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

बाली की प्राचीन भाषा ‘कवि’ संस्कृत से प्रभावित है. वहां संस्कृत में भी ग्रंथों की रचना हुई है. बाली भाषा की लिपि ‘ब्राह्मी लिपि’ से पैदा हुई है, जिसे ‘अक्षर बाली’ या ‘हनचरक’ कहा जाता है.समुद्री यात्रा करने वाले व्यापारी, बौद्ध धर्मावलंबी और कई तांत्रिक व वैदिक हिंदू परंपराओं के अनुयायी हिंदू धर्म को भारत से बाली ले गए. बाली में दीवारों पर आपको ‘ॐ शांति शांति शांति ॐ’ और ‘ॐ-सु-अस्ति-असतो’ जैसे शब्द लिखे हुए दिखाई देंगे.

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