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अक्षय नवमी आज, आंवला के पेड़ के नीचे होती है भगवान विष्णु की पूजा,आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बना कर ग्रहण करने पर होती है मनोकामना पूरी

संवाद 

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी (Amla Navami 2022) के नाम से जाना जाता है. ऐसे में आज आंवला नवमी है. पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग का आरंभ आज के दिन से हुआ था. आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. आपको बता दें किअक्षय का अर्थ है, जिसका क्षरण न हो. कहते हैं इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल अक्षय रहता है. इतना ही नहीं, मान्यता है कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने कंस के विरुद्ध वृंदावन में घूमकर जनमत तैयार किया था. इसलिए इस दिन वृंदावन की परिक्रमा करने का भी विधान है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से पुण्य का फल इस जन्म में तो मिलता ही है, साथ ही अगले जन्म में भी मिलता है.

शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है. कहते हैं कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करते समय परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना करनी चाहिए. इतना ही नहीं, पूजा के बाद पेड़ के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है और प्रसाद के रूप में आवंला खाया जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 01 नवंबर 2022 को रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 02 नवंबर 2022 को रात 09 बजकर 09 मिनट पर होगा. उद्यातिथि के नियमानुसार अक्षय नवमी व्रत 02 नंवबर को रखा जाएगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 01 नवंबर 2022 को रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 02 नवंबर 2022 को रात 09 बजकर 09 मिनट पर होगा. उद्यातिथि के नियमानुसार अक्षय नवमी व्रत 02 नंवबर को रखा जाएगा.



अक्षय नवमी व्रत बुधवार, नवम्बर 2, 2022 को

अक्षय नवमी व्रत पूजा मुहूर्त : प्रातःकाल 06:34 AM से 12:04 PM

अक्षय नवमी व्रत पूजा अवधि : 05 घण्टे 31 मिनट

कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि प्रारम्भ : नवम्बर 01, 2022 को 11:04 PM बजे

कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि समाप्त : नवम्बर 02, 2022 को 09:09 PM बजे


अक्षय नवमी 2022 व्रत शुभ मुहूर्त



ब्रह्म मुहूर्त : 04:50 AM से 05:42 AM

गोधूलि मुहूर्त : 05:35 पी एम से 06:01 PM

अमृत काल : 03:49 PM से 05:21 PM

रवि योग : पूरे दिन

आंवला नवमी पूजा विधि
आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है. हल्दी-कुमकुम से पूजा करने के बाद उसमें जल और कच्चा दूध अर्पित किया जाता है. इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें और तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटी जाती है. पूजा करने के बाद कथा पढ़ी और सुनी जाती है. इस दिन पूजा समापन के बाद परिवार और मित्रों के साथ पेड़ के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है.

अक्षय नवमी कथा
अक्षय नवमी के संबंध में पौराणिक कथा है कि दक्षिण में स्थित विष्णुकांची राज्य के राजा जयसेन थे. इनके इकलौते पुत्र का नाम मुकुंद देव था. एक बार जंगल में शिकार खेलने के दौरान राजकुमार मुकुंद देव की नजर व्यापारी कनकाधिप की पुत्री किशोरी पर पड़ी. मुकुंद देव उसे देखते ही मोहित हो गए और उससे विवाह की इच्छा प्रकट की. राजकुमार को किशोरी ने बताया कि उसके भाग्य में पति का सुख नहीं है. किशोरी को ज्योतिषी ने कहा है कि विवाह मंडप में बिजली गिरने से उसके वर की तत्काल मृत्यु हो जाएगी. लेकिन मुकुंद देव विवाह के प्रस्ताव पर अडिग रहे. मुकुंद देव ने अपने आराध्य देव सूर्य और किशोरी ने भगवान शंकर की आराधना की. भगवान शंकर ने किशोरी से भी सूर्य की आराधना करने को कहा. भोलेशंकर की कहे अनुसार किशोरी गंगा तट पर सूर्य आराधना करने लगी.

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