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पीटी ऊषा भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष बनीं, खेल संघों में हर्ष की लहर

संवाद 

 भारतीय ओलंपिक संघ की कमान पीटी उषा के हाथों में आने से स्वाभाविक ही खिलाड़ियों, खेल संघों और खेल प्रेमियों में एक नया उत्साह देखा जा रहा है। ओलंपिक संघ के पंचानबे साल के इतिहास में यह पहली बार है, जब कोई महिला इसकी अध्यक्ष बनी है। पीटी उषा निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं। उनके खिलाफ किसी और ने पर्चा नहीं भरा। इस तरह तमाम खेल संघों ने उनके प्रति सम्मान दर्शाते हुए यह जिम्मेदारी सौंपी है।

निस्संदेह पीटी उषा बहुत सारी महिला खिलाड़ियों और लड़कियों के लिए आदर्श रही हैं। इससे उन सबका मनोबल बढ़ा है। यह इस मायने में भी उत्साहजनक है कि इसमें किसी प्रकार की राजनीतिक दखलंदाजी नहीं रही। लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि खेल संघों में राजनेताओं के काबिज रहने से खेलों में अपेक्षित प्रदर्शन देखने को नहीं मिलते।

राजनेताओं के खेल संघों में होने से उनमें भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। खिलाड़ियों के चयन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने की शिकायतें भी मिलती रही हैं। इस तरह ओलंपिक संघ के साफ-सुथरे ढंग से काम करने का भरोसा बना है।

पीटी उषा खुद ओलंपिक में भारत का नाम रौशन कर चुकी हैं, उड़न परी के नाम से उन्हें सम्मान प्राप्त है। खेल से संन्यास लेने के बाद वे इस संघ से जुड़ी रही हैं और प्रतिभा संघ के सदस्यों की अध्यक्ष भी रही हैं। वे ओलंपियाड परीक्षा आयोजित कराती हैं। इस तरह उनमें ओलंपिक खेलों के लिए अपने देश की खेल प्रतिभाओं को निखारने का जज्बा समझा जा सकता है। पिछले ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने काफी सराहनीय प्रदर्शन किया। उससे उम्मीद बनी कि अगर खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण और खेल का वातावरण मिले, तो वे दुनिया में भारत की अलग पहचान बना सकते हैं। पीटी उषा के ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनने के बाद उनसे स्वाभाविक ही ये अपेक्षाएं जुड़ गई हैं।

हालांकि उनके सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। खासकर खिलाड़ियों के चयन को लेकर अक्सर विवाद खड़े हो जाते हैं। पिछले ओलंपिक के वक्त भी एक खिलाड़ी ने अपने चयन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाए जाने को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसी तरह उनके प्रशिक्षक, जरूरी साजो-सामान, खानपान, खेल वातावरण आदि को लेकर शिकायतें रहती हैं। इन सबके लिए राजनीतिक संघर्ष करना पड़ता है। हालांकि पीटी उषा भी सत्तापक्ष की तरफ से राज्यसभा की सांसद हैं, इसलिए उन पर राजनीतिक प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता। मगर उनकी प्रतिबद्धता खेलों के प्रति है, इसलिए सक्रिय राजनीति से आए लोगों की तरह उनसे पक्षपातपूर्ण रवैए की उम्मीद नहीं की जा सकती।

पिछले ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के उत्साहजनक प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने अगले ओलंपिक के लिए तैयारियों पर विशेष जोर दिया था। खुद प्रधानमंत्री ने पदक जीतने वाले खिलाड़ियों से बात कर उनका मनोबल बढ़ाया और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का भरोसा दिया था। ऐसे में पीटी उषा से सरकार के इरादे के अनुरूप ओलंपिक संघ के संचालन की उम्मीद की जाती है। उन्हें धन और संसाधन आदि की भी शायद ही कोई कमी होने पाए। मगर देखना है कि यह संघ कैसे प्रतिभाओं की पहचान करता और उन्हें तैयार करता है। कहने को देश भर में खेल संघ हैं, जिला स्तर पर खिलाड़ियों की प्रतिभा पहचानने का तंत्र है, मगर उनमें से बहुत सारे उपेक्षा और कुंठा का शिकार होते हैं। ओलंपिक संघ को तमाम खेल संघों के साथ तालमेल बिठा कर काम करना और निष्पक्ष तरीके से खिलाड़ियों को तैयार करना असल चुनौती होगी।

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