अधिकारियों ने बोला कि एजेंसी ने इस नाराजगी को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया,
परिवार को आश्वासन दिया कि वे उनके बेटे को सुरक्षित वापस लाएंगे. इसके बदले उन्हें एक अन्य घरेलू सहायक मदन के बारे में सुराग मिला, जो दिल्ली में रहता था. मदन की सहायता से, उन्हें प्रिया के ठिकाने के बारे में पता चला, जो 2017 में बिहार से भागने के बाद से निरंतर अपने ठिकाने बदल रही थी. वह अपनी पहचान और ठिकाना छिपाने को लेकर इतनी सावधान थी कि उसने कथित तौर पर पिछले 6 साल के दौरान अपने 13 वर्षीय बेटे को स्कूल नहीं भेजा. गुरुवार की सुबह जब जांच टीम साहिबाबाद की राजेंद्र नगर कॉलोनी में पहुंची, जहां प्रिया छुपी हुई थी, तो प्रिया को संदेह हुआ और उसने उनसे बात नहीं की.सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि अचानक आने वालों पर उसे संदेह हुआ. टीम ने बहुत समझाया कि वे किराए के मकान की तलाश कर रहे हैं, जिसके बाद उसने दरवाजा खोला. प्रिया की पहचान की पुष्टि करने के बाद, सीबीआई उसे हिरासत में लेकर पटना ले गई, जहां उसे एक खास अदालत के सामने पेश किया गया.
बता दें कि प्रिया ने एसएमवीएसएस की संस्थापक और अपनी सास मनोरमा देवी की मौत के बाद भागलपुर में स्थित संगठन का नियंत्रण अपने हाथ में लिया था. 2017 में स्वयंसेवी संगठन द्वारा सरकारी धन की कथित हेराफेरी की जांच सीबीआई के हाथों में जाने के बाद से वह फरार थी. एजेंसी ने एसएमवीएसएस पदाधिकारियों द्वारा 2003 से 2014 के बीच रिकॉर्ड में हेरफेर और नकली चेकबुक का प्रयोग करके करीब 1,000 करोड़ रुपए सरकारी धन के कथित गबन के मामले में 2017 से 24 मामले दर्ज किए. अधिकारियों ने बोला कि सीबीआई अब तक 16 मामलों में इल्जाम पत्र दायर कर चुकी है.