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सृजन घोटाले की सरगना रजनी प्रिया की गिरफ्तारी कैसे हुई? CBI ने प्लान और मिशन का किया पर्दाफाश

संवाद 


केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सृजन घोटाले (Srijan Ghotala) से जुड़े सभी आरोपियों का पता लगाने के लिए जून में नए सिरे से प्रयत्न प्रारंभ किए थे, जिसके परिणामस्वरूप घोटाले की सरगना रजनी प्रिया (Rajni Priya) की गिरफ्तारी हुई. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह सूचना दी. अधिकारियों ने बोला कि सभी भगोड़े अपराधियों को इंसाफ के कठघरे में लाने के मिशन के तहत सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया को पकड़ने की योजना जुलाई में प्रारंभ हुई और गुरुवार को समाप्त हुई, जब सीबीआई के अधिकारी मकान ढूंढने वाले बनकर उसके घर आए. घोटाला सामने आने के बाद 2017 से फरार प्रिया को पकड़ने के लिए महीने भर चले तलाश अभियान के दौरान सीबीआई की टीम ने बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नई दिल्ली की खाक छानी.सीबीआई के अधिकारियों ने बोला कि जांच दलों ने प्रिया के ठिकाने के बारे में कोई सुराग का पता लगाने के लिए उसके परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और परिचितों की तकनीकी निगरानी का सहारा लिया. सीबीआई प्रिया के परिवार और परिचितों से मिलने के लिए रांची पहुंची, जहां उसका जन्म और पालन-पोषण हुआ था. काफी मशक्कत के बाद एजेंसी को एक घरेलू सहायक के बारे में अहम सुराग मिला, जो तब से प्रिया के साथ था, जब वह 10 वर्ष का था. एजेंसी ने लड़के के परिवार का पता लगाया, जिसे शिकायत थी कि प्रिया उनके बेटे को अपने साथ ले गई थी. उन्होंने बोला कि परिवार को उससे कोई पैसा नहीं मिल रहा था और प्रिया लड़के को उसके परिवार से मिलने नहीं देती थी.

अधिकारियों ने बोला कि एजेंसी ने इस नाराजगी को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया,

 परिवार को आश्वासन दिया कि वे उनके बेटे को सुरक्षित वापस लाएंगे. इसके बदले उन्हें एक अन्य घरेलू सहायक मदन के बारे में सुराग मिला, जो दिल्ली में रहता था. मदन की सहायता से, उन्हें प्रिया के ठिकाने के बारे में पता चला, जो 2017 में बिहार से भागने के बाद से निरंतर अपने ठिकाने बदल रही थी. वह अपनी पहचान और ठिकाना छिपाने को लेकर इतनी सावधान थी कि उसने कथित तौर पर पिछले 6 साल के दौरान अपने 13 वर्षीय बेटे को स्कूल नहीं भेजा. गुरुवार की सुबह जब जांच टीम साहिबाबाद की राजेंद्र नगर कॉलोनी में पहुंची, जहां प्रिया छुपी हुई थी, तो प्रिया को संदेह हुआ और उसने उनसे बात नहीं की.सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि अचानक आने वालों पर उसे संदेह हुआ. टीम ने बहुत समझाया कि वे किराए के मकान की तलाश कर रहे हैं, जिसके बाद उसने दरवाजा खोला. प्रिया की पहचान की पुष्टि करने के बाद, सीबीआई उसे हिरासत में लेकर पटना ले गई, जहां उसे एक खास अदालत के सामने पेश किया गया. 
बता दें कि प्रिया ने एसएमवीएसएस की संस्थापक और अपनी सास मनोरमा देवी की मौत के बाद भागलपुर में स्थित संगठन का नियंत्रण अपने हाथ में लिया था. 2017 में स्वयंसेवी संगठन द्वारा सरकारी धन की कथित हेराफेरी की जांच सीबीआई के हाथों में जाने के बाद से वह फरार थी. एजेंसी ने एसएमवीएसएस पदाधिकारियों द्वारा 2003 से 2014 के बीच रिकॉर्ड में हेरफेर और नकली चेकबुक का प्रयोग करके करीब 1,000 करोड़ रुपए सरकारी धन के कथित गबन के मामले में 2017 से 24 मामले दर्ज किए. अधिकारियों ने बोला कि सीबीआई अब तक 16 मामलों में इल्जाम पत्र दायर कर चुकी है.

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