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'Lalu Yadav के न चाहने से मुलायम सिंह PM की कुर्सी से रह गए दूर', RJD सुप्रीमो की 'MY' सियासत पर उपेंद्र कुशवाहा ने उठाया प्रश्न


संवाद 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को बक्सर आए. वहीं, रविवार को उन्होंने मीडिया से कई मुद्दों पर वार्तालाप की. इस क्रम में सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और लालू यादव (Lalu Yadav) पर निशाना साधा. उन्होंने लालू यादव पर गंभीर इल्जाम लगाते हुए बोला कि एक वक्त ऐसा था कि जब लालू प्रसाद चाहते तो यादव समाज से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पीएम बन सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. लालू यादव कभी नीतीश कुमार को पीएम बनने नहीं देंगे. लालू प्रसाद अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनने के फिराक में पड़े हैं. भले ही वे 6 महीने या एक साल के लिए ही बने.उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार सरकार को आड़े हाथों लेते हुए बोला कि जब से नीतीश कुमार को पीएम का सपना दिखाया गया तब से वो सरकारी कामों में रुचि लेना बंद कर दिए हैं. इससे लॉ एंड ऑर्डर, अराजकता से बिहार पूरी तरह कराह रहा है. वहीं, शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक पर उन्होंने बोला कि शिक्षा में सुधार लाने के लिए जिस व्यक्ति के द्वारा तुगलकी फरमान जारी किया जाता रहा है, उससे शिक्षा में सुधार तो होता नहीं बल्कि परेशानियां और भी बढ़ जाती हैं. अभी जो कुछ भी सरकार में हो रहा है, मुझे नहीं लगता है कि सोच समझ कर हो रहा है. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बोला कि नीतीश कुमार जब से महागठबंधन में गए हैं,

 उन्हें प्रधानमंत्री बनने का सपना दिखाया गया है. सपना दिखाने वाले भी आज उनके साथ दगा कर रहे हैं, जो सबके सामने है. किस विभाग में क्या हो रहा है? समय मिला तो बैठ गए वरना सरकारी कार्य में रुचि लेना ही नीतीश कुमार बंद कर दिए हैं. कई कार्यों के लिए तेजस्वी को इशारा करते हैं कि इनसे समझ लीजिए. बिहार सरकार में बिल्कुल अराजक व्यवस्था है. एनडीए गठबंधन में अपने हिस्से की सीटों को लेकर आरएलजेडी प्रमुख ने बताया कि सब कुछ तय हो चुका है. इसे लेकर किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है. वक्त आने पर इसे लोगों के बीच लाया जाएगा. वहीं, उन्होंने पार्टी बदलने या फिर नई पार्टी बनाने के प्रश्न पर बोला कि अगर कोई दूसरा पार्टी बदलता है तो कोई बात नहीं और हमने पार्टी बदला तो हमसे प्रश्न पूछे जाते हैं. दूसरे लोग तो सड़क से सदन की कुर्सी के लिए बदल जाते हैं. हमने तो जब जब कुर्सी बदली है, सदन से सड़क पर आए हैं. हमेशा कालेजियम सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था में सुधार और लोगों की मूलभूत समस्याओं को लेकर निरंतर प्रयासरत रहते हैं.

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