विज्ञान कहता है कि चंद्र ग्रहण महज एक खगोलीय घटना है. विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है. इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा की रोशनी को ढक लेती है. दूसरी ओर, सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर चंद्रमा पर पड़ती है.
स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व होता धर्म और ज्योतिष में इसे शुभ नहीं माना जाता है. इस साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की रात को लग रहा है यह चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगेगा. ग्रहण के दौरान चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे. यह ग्रहण आंशिक चंद्र ग्रहण होगा और यह भारत में अधिकतर हिस्सों मे दिखाई देगा साथ ही विदेशो मे भी दिखाई देगा। पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार इस ग्रहण की शुरुआत भारत में मध्य रात्रि मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार 01:05 बजे से होगा और 02:24 बजे तक ग्रहण रहेगा. साल का यह आखिरी चंद्र ग्रहण मेष राशि में रहेगा।चन्द्रग्रहण का सूतक काल 09 घंटा पहले लगता है यानी 28 अक्टूबर को दिन के 04:05 से सूतक आरम्भ हो जायेगा। सूतक काल के दौरान सभी मंदिरों के
कपाट बंद कर दिए जाते हैं. सूतक के दौरान किसी भी तरह की पूजा और धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल के दौरान तेज गति से चलने वाला चंद्रमा छाया ग्रह केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हो जाता है.ग्रहण के दौरान चंद्रमा ग्रसित हो जाता है. ऐसी स्थिति में सभी जातकों के मन और मस्तिष्क पर इसका प्रभाव पड़ता है. इसके प्रभाव से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो जाती है.