अनूप नारायण सिंह
काशी में प्राचीन धर्मेश्वर महादेव मंदिर मीरघाट की तंग गलियों में स्थित है। इस स्थान पर सूर्यपुत्र यम ने महादेव की कठोर तपस्या की थी। लेकिन कठोर तपस्या के बाद भी महादेव प्रकट नहीं हुए।
तब श्री नारायण ने सूर्यपुत्र से कहा कि तुम एक कुआं बनवाओ और उसमें स्नान कर यहां तपस्या करो। श्री हरि के वचनों के अनुसार, यम ने इस स्थान पर एक धर्मकुप (कुआं) की स्थापना की थी। उस कुएं के पानी में स्नान करने के बाद सूर्यपुत्र ने युगों तक शिव जी की घोर तपस्या की।
महादेव सूर्यपुत्र की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें वरदान दिया कि आज से आपका नाम यमराज होगा और आप मृत्यु के बाद आत्मा को नरक और स्वर्ग भेजने का निर्णय ले सकेंगे।
द्वापर युग में श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने भी यहीं धर्मराज की तपस्या की थी। इस मंदिर में यमराज द्वारा बनवाया गया धर्मकुप आज भी मौजूद है। लेकिन लोग इस कुएं के अंदर देखने से डरते हैं।
कहा जाता है कि इस कुएं के अंदर देखने पर अगर आप अपनी परछाई देखते हैं तो यह शुभ माना जाता है। लेकिन अगर आपको इसके अंदर कोई परछाई न दिखे तो 6 महीने के अंदर आपके साथ कुछ बुरा होने वाला है।