बिहार को बदलने के लिए इन सबसे ऊपर उठना होगा.
प्राचीन काल का चिंतन करें जब बिहार में जातियां थीं लेकिन अभी जिस तरह से जातिवाद है ऐसा जातिवाद रहा होता तो मगध में नंद वंश का उदय नहीं होता जो सबसे निम्न जाति से आते थे.आगे उन्होंने बोला कि आचार्य चाणक्य भी चंद्रगुप्त से जाति पूछते. बिहार का विकास तभी मुमकिन है जब पहले जैसे लोग सोचते थे उस तरह की सोच रखनी होगी, लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए प्रयास करेंगे या कर रहे हैं तो चीजें बदलती रहती हैं, लेकिन बिहार बदलना है तो हर लोग को जाति से ऊपर सोचना होगा और बिहारवासी को आगे आने होगा.विकास वैभव ने बोला कि हम आईपीएस तो हैं, लेकिन पहले बिहारी हैं जब मैं भोपाल में था तो मुझे लोग बिहारी कह कर बुलाते थे और निम्न दृष्टि से देखते थे उसी वक्त हमने बिहार को ऊपर उठाने का फैसला लिया था उसके बाद हम आईपीएस अधिकारी बने, लेकिन मेरी सोच यही थी कि मैं बिहार के लोगों को शिक्षा और रोजगार से जोड़े. इसके लिए हमने तीन बातें शिक्षा, समता और उद्यमिता के मंत्र को लेकर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए कई जगहों पर प्रोग्राम किया गया है. कई लोग हमारे अभियान में सम्मिलित हो रहे हैं. कई लोगों को लाभ मिल रहा है और मेरा लक्ष्य है कि 2047 तक हर बिहारी को रोजगार, शिक्षा से जोड़ा जाए. वहीं, उन्होंने राजनीति में आने को लेकर बोला कि मुझे इसकी कोई मंशा नहीं है और कोई जरूरी भी नहीं है कि राजनीति में आकर ही लोगों विकास के लिए सोचा जाए.बता दें कि आईपीएस विकास वैभव पिछले तीन-चार वर्षों से बिहार में शिक्षा, रोजगार जैसे अहम मुद्दे को उठाते हुए सामाजिक अभियान में जुड़े हुए हैं और तीन वर्ष पहले उन्होंने लेट्स इंस्पायर बिहार अभियान की शुरूआत की थी. इसको लेकर 25 अगस्त को पटना में एक बड़ा प्रोग्राम भी करने वाले हैं जिसमें केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा भी सम्मिलित रहेंगे.