उन्होंने यह भी बोला कि हम बेहतर समन्वय के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे,
इसमें किसी को गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए.इस बैठक के माध्यम से जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने विरोधियों को भी एनडीए के एकजुट होने की ताकत दिखाई. बैठक में एकजुटता पर सबसे अधिक जोर रहा और सभी ने एक स्वर में साझा प्रोग्राम चलाने और एनडीए के कार्यकर्ताओं में बेहतर समन्वय बनाने की बात बोली. बैठक में एनडीए के नेताओं को बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 220 से 225 सीटों पर जीत का लक्ष्य देते हुए नारा दिया गया, '2025 में 225, फिर से नीतीश'. इस नारे ने साफ कर दिया कि अगला विधानसभा चुनाव नीतीश के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा.बिहार की सियासत के जानकार अजय कुमार भी कहते हैं कि नीतीश कुमार की पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं एक रणनीतिकार के रूप में होती है. उनकी बिहार के प्रति समझ गजब की है. गौर से देखें तो वह समय-समय पर अपनी रणनीतियों में परिवर्तन करते रहते हैं. एक बार फिर एक रणनीति के तहत एनडीए की बैठक बुलाकर न केवल एकजुटता का संदेश दिया बल्कि अपनी स्थिति भी मजबूत कर ली.हालांकि विपक्ष ने इस बैठक को फ्लॉप बताया है. आरजेडी की सांसद मीसा भारती बोलती हैं कि कई घटक दलों के अध्यक्ष ही इस बैठक में मौजूद नहीं थे. उन्होंने बोला कि सीनियर नेता ही नहीं आए तो यह किस तरह की बैठक थी. इसका मतलब यह हुआ कि अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.बैठक में गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, सम्राट चौधरी की उपस्थिति पर उन्होंने बोला कि गिरिराज सिंह आजकल बड़े नेता थोड़े नहीं हैं. सम्राट चौधरी को तो पार्टी ने खुद साइड लाइन करके रखा है. उनके बारे में क्या बात की जाए. उन्होंने दावा करते हुए बोला कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए की बैठक बुलाई थी, जिसमें जिन नेताओं को मौजूद होना चाहिए था, वो तो उपस्थित ही नहीं थे.