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भाजपा सरकार में ही मोदी की फ्री इलाज की गारंटी फेल हुआ

संवाद 
  

बरेली के एक निजी अस्पताल में तीमारदार से अभद्रता का मामला सामने आया है, जिसका वीडियो वायरल हुआ है। इसमें डॉक्टर मरीज के तीमारदार से अभद्रता से बात करते सुने जा रहे हैं। आरोप है कि आयुष्मान कार्ड पर निशुल्क उपचार की सुविधा होने की बात पर डॉक्टर इतना आग बबूला हो गए कि उन्होंने तीमारदार को आईसीयू से धक्के देकर बाहर निकाल दिया।

 सरकार के लिए भी बुरा भला कहा।

मामला शहर के दीपमाला अस्पताल का है। वायरल वीडियो में डॉक्टर तीमारदार से यह कहते सुने जा रहे हैं कि फ्री में तुम्हें इलाज नहीं, धोखा मिलेगा। नाटक करेंगे.. हम इलाज कर रहे हैं। जो हाथ चलने लगा है, वो भी जिंदगी में नहीं चलेगा। तुम्हारा इंसान फ्री में सही हो जाए। फ्री वाले इलाज में तो कभी सही नहीं होगा। जिस अस्पताल को 22 सौ रुपये मिल रहे हैं, वो छह हजार का इंजेक्शन क्यों लगाएगा। 22 सौ रुपये में वह इलाज होता है, जो जिला अस्पताल में होता है। चूरन चटनी की गोली खिला दो बस।

 *'सरकारी की सुविधा लेकर जिंदा रहना तू'
डॉक्टर ने कहा कि सरकार अगर निशुल्क सुविधा देती है तो सरकारी अस्पताल में उपचार क्यों नहीं करा रही। जिला अस्पताल का बजट यहां से 10 गुना ज्यादा होता है। नेता और अफसर मिलकर सब खा जाते हैं। निजी अस्पताल में क्यों आना पड़ रहा है। डॉक्टर तीमारदार से कहते हैं कि तुम मेरे अस्पताल में मत आना। सामने भी मत पड़ना। सरकारी की सुविधा लेकर जिंदा रहना तू...। इसके बाद उसे धक्के मारकर आईसीयू से बाहर निकाल देते हैं। वीडियो वायरल होने के बाद डॉक्टर ने सफाई दी है।

 डॉक्टर ने दी यह सफाई
दीपमाला अस्पताल के डॉक्टर सोमेश मेहरोत्रा का कहना है कि आयुष्मान योजना सरकार की जन कल्याणकारी योजना है, लेकिन इसमें सभी इलाज की दरें तय हैं। ऐसा नहीं है कि एक बीमारी पर पूरे पांच लाख रुपये लगा दिए जाएं। मरीज पहुंचने के बाद आयुष्मान कार्ड लगाकर अनुमति ली जाती है, फिर इलाज शुरू होता है। अगर अचानक कोई मरीज आ जाए और कार्ड का अप्रूवल न मिले तो दिक्कत होती है। जिस इंजेक्शन को लगाने की बात कह रहा हूं, वह अप्रूवल से पहले का मामला है लेकिन लड़का समझने को तैयार नहीं था।
डॉक्टर ने कहा कि मैंने जो बोला वह फ्रस्ट्रेशन में बोला है। सरकार या जनप्रतिनिधियों से मेरी कोई शिकायत नहीं है।* बीते चार माह में आयुष्मान कार्ड से इलाज के बाद बिल का अब तक भुगतान नहीं हुआ है। मेरी परेशानी को भी मानवीय पक्ष से देखा जाना चाहिए। सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं भी उपलब्ध मानव संसाधन के लिहाज से बेहतर हैं।

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