माघ मास की चतुर्दशी को नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित व्रत। इस दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ था।पंडित पंकज झा शास्त्री ने कहा पंचांग अनुसार इस साल यह व्रत 28 जनवरी को होगा, जिसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखा जाएगा। इस दिन शिव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना और उपवास से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है।इस दिन नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत किया जाएगा। जिस तरह से भगवान शिव के भक्तों के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का महत्व है उसी तरह से माघ मास की चतुर्दशी का महत्व है। क्योंकि दोनों ही चतुर्दशी का संबंध भगवान शिव के विवाह से है। दरअसल शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन मास की चतुर्दशी को भगवान शिव का विवाह हुआ था इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहते हैं। जबकि माघ मास की चतुर्दशी के दिन शिवजी का विवाह देवी पार्वती के साथ तय हुआ था इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने कहा कि शास्त्र अनुसार माघ माह की अमावस्या पर ऋषि मनु का जन्म हुआ था इसलिए यह तिथि मौनी अमावस्या के नाम से जानी गई. मौनी अमावस्या को जो मनुष्य इस दिन मौन व्रत रखता है उसे अपने जीवन में वाक् सिद्धि प्राप्त होती है.
इस दिन स्नान और दान करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मौनी अमावस्या के दिन पितरों के नाम तर्पण करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, साथ ही इस दिन दान करने से कुंडली में मौजूद किसी भी प्रकार के दोष से मुक्ति पाई जा सकती है.