अधिवक्ता परमानंद सिंह, विद्यानंद सिंह और विजय कुमार की गिरफ्तारी मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले को लेकर हुई है. गिरफ्तार करने के बाद इडी ने आरोपियों को विशेष न्यायालय (पीएमएलए) के समक्ष पेश किया जहां से इन्हें जेल भेज दिया गया है.
*राशि का बड़ा हिस्सा हड़पने के मामले में हुई थी छापेमारी*
प्रवर्तन निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार ईडी ने रेलवे के अज्ञात लोक सेवकों विद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह, विजय कुमार और अन्य के खिलाफ आइपीसी, 1860 और पीसी एक्ट, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत रेलवे दावा न्यायाधिकरण, पटना (आरसीटी) में दायर, अनियमितता और अपराध के संबंध में सीबीआइ पटना में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी. जांच में यह प्रमाण पाया गया कि इस आपराधिक साजिश में आकस्मिक मृत्यु, दावा मामलों में दावेदारों को दी गयी राशि का केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को मिला, जबकि बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया.
*अपने खाते में राशि ट्रांसफर करा लिए थे वकील*
ईडी की जांच से पता चला है कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह और परमानंद सिन्हा और एडवोकेट विजय कुमार सहित उनके वकीलों की टीम ने लगभग 900 मामलों को निबटाया. इसका निबटारा न्यायाधीश आरके मित्तल ने आदेश जारी कर किया. दावेदारों को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था. यह पता चला है कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और उनका संचालन किया और इन दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का उपयोग करके रेलवे से प्राप्त दावा राशि को अपने खातों में स्थानांतरित कर लिया या नकद निकाल लिया.
कई रिकॉर्ड हुए बरामद, आगे की जांच जारी
ईडी को अपनी जांच और तलाशी के दौरान वकीलों और जज द्वारा उनके नाम पर अर्जित संपत्तियों की जानकारी मिली. यही नहीं दावेदारों द्वारा हस्ताक्षरित खाली बैंक चेक और साइन किये गये खाली कागजात सहित भौतिक और डिजिटल रिकॉर्ड बरामद हुए. फिलहाल आगे की जांच जारी है.