मिथिला हिन्दी न्यूज :- जैसे-जैसे त्योहारों के दिन नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे प्याज का स्वाद व्यंजनों में से धीमे-धीमे गायब होता जा रहा है। प्याज की कीमतें बढ़ने से सामान्य परिवारों से लेकर बड़े-बड़े होटलों के मालिकों को परेशान में डाल दिया है। नई फसल के आने में देरी होने इस साल प्याज के बढ़ते दामों से मंहगाई की मार झेलनी पड़ सकती है। खरीफ फसल बुवाई में बारिश की वजह से देरी होने और कई अन्य वजहों से अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्याज के महंगे होने से आम जनता को प्याज को अनदेखा करना पड़ेगा।रिपोर्ट के अनुसार इस साल प्याज उत्पादन वाले इलाकों में अगस्त महीने में मानसूनी बारिश की कमी रही जिसकी वजह से खरीफ फसल की बुवाई में देरी हुई. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारत में प्याज की खपत हर महीने औसतन 13 लाख टन होती है.मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाने वाले भारी और अनिश्चित मानसून की वजह से आपूर्ति में व्यवधान के कारण हुआ था. मानसून की अनिश्चितता से अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत तक बाजार में खरीफ प्याज की आने में 2-3 सप्ताह की देरी होने की उम्मीद है, इसलिए कीमतों में तब तक बढ़ोतरी की संभावना है. सरकार ने प्याज की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें वित्त वर्ष 2022 के लिए प्याज के लिए निर्धारित दो लाख टन का बफर स्टॉक शामिल है.
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