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विधान परिषद चुनाव में नए चेहरों ने सारण से टिकट हासिल करने में तोड़ दिए महारथियों के चक्रव्यूह

अनूप नारायण सिंह

स्थानीय प्राधिकार के हो रहे विधान परिषद चुनाव में सारण सीट से तीनो दलीय प्रत्याशी युवा हैं। चुनाव के पहले इनके नाम की चर्चा तक नहीं थी राजद उम्मीदवार बनाए गए सुधांशु रंजन पांडे इकलौते ब्राह्मण उम्मीदवार हैं। जबकि भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार राजपूत बिरादरी से आते हैं। भाजपा उम्मीदवार धर्मेंद्र कुमार सिंह को निवर्तमान भाजपा पार्षद इंजीनियर सच्चिदानंद राय का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार सुशांत सिंह भी नए चेहरे है। इस सीट से चुनाव लड़ रहे तीनों दलिय प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और मुकाबला भी इन तीनों के बीच ही है जितने वाला चेहरा भी इन्हीं के बीच का होगा।
 चुनाव के बीस दिन पहले का समय काफी अहमियत भरा होता है पर यह स्पष्ट हो चुका है इस बार सारण स्थानीय प्राधिकार से जो भी चेहरा जीतकर विधान परिषद पहुंचेगा वह नया ही होगा।नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होने पार्टी द्वारा निवर्तमान विधान पार्षद इंजीनियर सच्चिदानंद राय को उम्मीद्वार बनाए जाने और फिर नामांकन के दो दिन पहले उम्मीदवार बदल दिए जाने से सारण की सियासत गरमा गई है भाजपा ने अपने निवर्तमान विधान पार्षद इंजीनियर सच्चिदानंद राय का टिकट काटकर धर्मेंद्र कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है। धर्मेंद्र कुमार सिंह छपरा में निजी शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करते हैं। भाजपा के एक आम कार्यकर्ता के रूप में उनकी पहचान है तथा समाज सेवा के क्षेत्र में चर्चित नाम है। भाजपा से टिकट कटने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि इंजीनियर सच्चिदानंद राय लटका के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं हालांकि उनकी तरफ से प्रतिक्रिया आई है कि पार्टी का निर्णय मान्य है पार्टी जो जिम्मेवारी देगी उसका सम्मान करेंगे।राजद उम्मीदवार सुधांशु रंजन भी पहली ही बार यहां से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। सुधांशु रंजन ब्राह्मण जाति से आते हैं।पंचायती राज व्यवस्था 2001 में सु²ढ़ होने के बाद विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे का पहला चुनाव 2003 में हुआ था। यह चुनाव दलगत आधार पर नहीं हुआ था और चुनाव मैदान में उतरने वाले सभी सियासी खलीफे निर्दलीय थे। सारण में यह चुनावी संघर्ष त्रिकोणीय हुआ था। बाजी मारी मढ़ौरा के तत्कालीन विधायक स्व यदुवंशी राय के अनुज और वर्तमान विधायक जितेन्द्र कुमार राय के चाचा रघुवंश प्रसाद यादव ने। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के निकट संबंधी विनय सिंह रहे थे। सोनपुर के बच्चा सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। विधान परिषद के उपसभापति बने सलीमबिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे के चुनाव का दूसरा अखाड़ा 2009 में सजा। यह चुनाव दलगत आधार पर हुआ। तत्कालीन विधान पार्षद रघुवंश प्रसाद यादव को राजद ने टिकट दिया। उनका मुकाबला तब के नये सियासी खिलाड़ी सलीम परवेज से हुआ। सलीम परवेज को जदयू ने अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा। सलीम परवेज ने राजद प्रत्याशी को पराजित कर पहली बार विधान परिषद की दहलीज पर कदम रखा। वहां पहुंचने के बाद उन्हें विधान परिषद के उपसभापति की कुर्सी मिली। सच्चिदानंद राय को पिछली बार मिला ताज विधान परिषद के इस चुनाव की तीसरी रणभूमि 2015 में तैयार हुई। तत्कालीन विधान पार्षद व विधान परिषद के उपसभापति सलीम परवेज जदयू, राजद व कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी बन चुनावी रण में उतरे। बीजेपी ने ई सच्चितानंद राय को अपना प्रत्याशी बनाया। मुकाबला कड़ा था और परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा। सच्चिदानंद राय पहली बारयह चुनाव लड़े और विजेता बन विधान परिषद पहुंच गए। वे विधान परिषद में पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष बने। सारण सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार सुशांत कुमार सिंह लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में लगे हुए हैं पर राजद से अलग हटकर कांग्रेस का जमीन पर ताकत नजर नहीं आ रहा हालांकि सुशांत कुमार सिंह की अपने स्थानीय स्तर पर पकड़ है।

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