संवाद 
आज सावन का पहला सोमवार है। देशभर के शिवालयों में आज सुबह से ही जलाभिषेक के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है। सावन का हर सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है।
सावन के महीने में भक्त हर सोमवार का व्रत रखते हैं और सावन का महीना सबसे शुभ महीना माना जाता है।
भगवान शिव को सोमनाथ या सोमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वे अपने माथे पर अर्धचंद्र धारण करते हैं। सोमवार शब्द चंद्रमा से जुड़ा है और सोम का अर्थ चंद्र होता है। सावन में अक्सर चार या पांच सोमवार आते हैं लेकिन इस बार करीब 19 साल बाद सावन में आठ सोमवार होंगे।
Sawan ka Pahla Somwar Live Updates…
बिहार: सावन महीने के पहले सोमवार के मौके पर पटना के बोरिंग रोड पर श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की।
राजस्थान: सावन के पहले सोमवार के मौके पर जयपुर में ‘झारखंड महादेव मंदिर’ में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।
उत्तर प्रदेश: सावन के पहले सोमवार के मौके पर मेरठ के औघड़नाथ शिव मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।
उत्तराखंड: सावन माह के पहले सोमवार के अवसर पर भक्तों ने हरिद्वार के दक्ष प्रजापति शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की।
उत्तर प्रदेश: सावन माह के पहले सोमवार के अवसर पर भक्तों ने कानपुर के नागेश्वर शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की।
मध्य प्रदेश: सावन माह के पहले सोमवार के अवसर पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती की गई।साथ ही प्रदेश के सभी छोटे - बड़े शिवालयों में अभिषेक किए गए। श्रद्धालुओं ने उपवास रख कर पूजा अर्चना की यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहा ।
दिल्ली: सावन माह के पहले सोमवार के अवसर पर भक्तों ने चांदनी चौक के गौरी शंकर मंदिर में पूजा-अर्चना की।
उत्तर प्रदेश: सावन माह के पहले सोमवार के अवसर पर गोरखपुर के झारखंडी शिव मंदिर में पूजा की गई।
अविवाहितों के लिए सावन का महीना है शुभ!
सावन का महीना उन भक्तों के लिए शुभ माना जाता है जो अविवाहित हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रावण मास के दौरान पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है या मनचाही इच्छा पूरी होती है। भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से जाना जाता है और भोलेनाथ हमेशा भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रावण मास के दौरान भगवान शिव अपने ससुराल जाते हैं और देवी पार्वती के साथ वहीं रहते हैं। एक बार भगवान शिव ने प्रजापति दक्ष को वचन दिया कि वे श्रावण मास में उनके यहां आयेंगे और पूरे मास वहीं रहेंगे।