बिहार की मिठाइयों की अपनी एक अलग पहचान है, लेकिन एक खास पेड़ा ऐसा है जिसकी मिठास सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि करोड़ों के कारोबार में भी घुली हुई है! यह पेड़ा न सिर्फ बिहार बल्कि देशभर में मशहूर है और हर साल इसका कारोबार 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का होता है।
कौन सा है बिहार का यह मशहूर पेड़ा?
बिहार का यह खास पेड़ा सहरसा, गया और देवघर के पेड़ों की तरह प्रसिद्ध है, लेकिन इसका नाम लेते ही हर किसी के जुबान पर बस छपरा या राजगीर का पेड़ा आ जाता है। यह पेड़ा अपने विशेष स्वाद, शुद्धता और पारंपरिक विधि से बनाए जाने की वजह से बेहद लोकप्रिय है।
कैसे बनता है यह खास पेड़ा?
इस पेड़े को शुद्ध मावा (खोया), चीनी और देशी घी से तैयार किया जाता है।
इसे बनाने के लिए पारंपरिक धीमी आंच पर घंटों मावा पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी शानदार हो जाता है।
इसमें इलायची, केसर और कुछ खास ड्राई फ्रूट्स डाले जाते हैं, जिससे इसका स्वाद और खुशबू लाजवाब हो जाती है।
कितना बड़ा है इस पेड़े का कारोबार?
त्योहारों और शादी के सीजन में इसकी मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और इस दौरान व्यापार 1 करोड़ से ज्यादा का हो जाता है।
बिहार के अलग-अलग शहरों से लोग इसे खरीदने आते हैं और अब यह ऑनलाइन माध्यम से भी बेचा जाने लगा है।
बिहार से दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली और महाराष्ट्र तक यह पेड़ा भेजा जाता है।
क्यों है इतना खास?
✔ शुद्धता: पारंपरिक तरीके से शुद्ध सामग्री से बनाया जाता है।
✔ बिहार की पहचान: यह सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है।
✔ स्वाद में बेजोड़: इसका स्वाद और ताजगी इसे बाकी पेड़ों से अलग बनाती है।
बिहार आने पर इसे जरूर करें ट्राई!
अगर आप बिहार आते हैं, तो इस मशहूर पेड़े का स्वाद चखना बिल्कुल न भूलें। यह न सिर्फ बिहार की मिठास का प्रतीक है, बल्कि एक ऐसी मिठाई है जिसने बिहार के छोटे कारोबारियों को भी नई पहचान दी है।
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