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बिहार के गांवों के पानी में घुल रहा ज़हर! पीने से शरीर हो रहा खोखला, जानिए पूरी सच्चाई

बिहार डेस्क: बिहार के कई ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी में खतरनाक ज़हर घुलने की खबरें सामने आ रही हैं। यह ज़हर कोई बाहरी तत्व नहीं, बल्कि आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसी खतरनाक धातुएं हैं, जो पानी में घुलकर लोगों के शरीर को अंदर से खोखला बना रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस जहरीले पानी का लंबे समय तक सेवन करने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

किन इलाकों में पानी में ज़हर?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार के पटना, भोजपुर, बक्सर, गया, नालंदा, सारण और समस्तीपुर समेत कई जिलों में पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। खासकर उन गांवों में, जहां पीने का पानी हैंडपंप या बोरिंग से आता है, वहां यह समस्या ज्यादा गंभीर है।

कैसे कर रहा यह ज़हर शरीर को नुकसान?

आर्सेनिक सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है। इसके लंबे समय तक सेवन से त्वचा रोग, कैंसर, किडनी फेलियर और हड्डियों की कमजोरी जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

फ्लोराइड की अधिक मात्रा दांतों और हड्डियों को कमजोर बना देती है, जिससे लोग छोटी उम्र में ही जोड़ों के दर्द और चलने-फिरने में दिक्कत का शिकार हो जाते हैं।

बच्चों के दिमागी विकास पर भी बुरा असर पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई-लिखाई और मानसिक क्षमता प्रभावित हो सकती है।


क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग?

स्वास्थ्य और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार के करीब 13 जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मानक स्तर से ज्यादा पाई गई है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए विशेष जल परीक्षण अभियान शुरू किया है, ताकि प्रभावित इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सके।

कैसे बचा जा सकता है इस खतरनाक पानी से?

✅ पानी को फिल्टर करके या उबालकर पिएं
✅ सरकार द्वारा दिए गए आरओ (RO) या वाटर फिल्टर का इस्तेमाल करें
✅ हैंडपंप के बजाय शुद्ध पानी के स्रोत (नल जल योजना, पाइपलाइन) से पानी लें
✅ अगर संभव हो तो पीने के पानी की जांच कराएं

स्थानीय लोगों में बढ़ रही चिंता

ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग इस खतरे को लेकर डरे हुए हैं। कई गांवों में लोगों को यह तक नहीं पता कि वे जो पानी पी रहे हैं, वह ज़हर से भरा हो सकता है। स्थानीय प्रशासन और सरकार से जल्द से जल्द शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मांग उठ रही है।

अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में यह एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बन सकता है। सरकार को इस दिशा में तेजी से कदम उठाने की जरूरत है।


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